अजीब देश है हमारा भी.....
धर्मनिरपेक्षता: यूँ तो इस शब्द का अर्थ है की हमारे देश में सभी धर्म एक साथ एक अधिकार के साथ रह सकते है लेकिन हमारे देश होता है बिलकुल इसके उल्टा आज धर्म निरपेक्षता का दुरूपयोग खुलेआम कुछ लोगो और सत्ता में बैठे कुछ दुराचारियो द्वारा किया जा रहा है और मजे की बात तो ये है की देश का बहुसंख्यक वर्ग हिन्दू इस मामले पर आँख मुड़े हुए है उसे जरा सा भी इस बात का अहसास नहीं है की अगर इस दुरूपयोग को न रोका गया तो आने वाले दिनों में हिन्दुओ की दशा तरस खाने वाली हो जाएगी, धर्मनिरपेक्ष होना अच्छी बात है लेकिन धर्म के प्रति उदासीन होना गलत बात है. मेरे दिमाग में रह रह कर के प्राचीन यूनान के स्पार्टा साम्राज्य के समाज व्यवस्था की याद आ जाती है जहा पर कुछ हजार स्पार्टन लाखो की संख्या में स्पार्टा में बसे "हैलोट" पर राज्य करते थे. हजारो में बसे स्पार्टन कानून और नियम बनाते और हैलोट बेचारे बस काम और मेहनत करके खा पीके सो जाते थे और उनका यही दिनचर्या बन गया था नतीजा ये हुआ की वो गुलामो की जिंदगी बिताने लगे और उनका जीवन दोयम दर्जे के गुलामो की तरह हो गयी थी जिन्हें अपने अधिकार और अपने देश के बारे में कुछ बोलने का अधिकार ही नहीं था उनका और वो एक आम नागरिक से धीरे धीरे गुलाम बन गए जबकि वो संख्या में राज्य करने वाले स्पार्टन से कई गुना अधिक थे. ये एक आदर्श उदाहरण हो सकता है उनके लिए जो अपने अधिकारों का उपयोग नहीं करते कुछ ऐसी ही समस्या हमारे हिन्दू भाइयो के साथ है उनके लिए अधिकारों की बात करना अपना समय बर्बाद करना या बकवास करने जैसा है और बोलने पर बोलते है की हमारे बाप का क्या जायेगा सच भी है हमारे बाप का कुछ नहीं जायेगा क्यूंकि वो तो अपनी जिंदगी आजाद देश में जी रहे है लेकिन क्या हम और क्या हमारी आने वाली पीढ़ी आजाद रहेगी. अगर आपको लग रहा है की मैं बस ऐसे ही बकवास कर रहा हु तो आप खुद ही देख लीजिये की आने वाले दिनों में हमारे साथ क्या क्या हो सकता है |
1) अभी कुछ दिन ही पहले हैदराबाद के अपने को धर्मनिरपेक्ष ( सेकुलर) कहने वाले MIM पार्टी के MLA अकबरुद्दीन ओवैसी है की उन्होंने ये मांग की थी कि हैदराबाद के भाग्यलक्ष्मी मंदिर में घंटी नहीं बजनी चाहिए क्यूंकि घंटी कि आवाज मुस्लिमो के लिए हराम माना जाता है और हैरानी कि बात ये है कि हमारी केंद्र सरकार से आग्रह करने पर हमारी महान सेकुलर सरकार ने घंटी बजने पर रोक भी लगा दी थी
2) इन्ही अकबरुद्दीन ओवैसी ने यह भी मांग कि थी कि रामनवमी के दिन कोई जुलुस न निकली जाये इससे माहौल बिगड़ने का डर है
3) इन मुस्लिमो कि हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि उन्होंने रामनवमी के जुलुस का बदला लेने के लिए एक बेजुबान और प्रकृति में ममता कि साक्षात् मूर्ति गाय को काट के एक पास के मंदिर में फेक दिया और झड़प शुरू हो गया और मुस्लिम पहले से ही तैयार बैठे थे और हम कुछ नहीं कर पाए
4) पाकिस्तान से आये हिन्दुओ को सरकार भारत में रखना नहीं चाहती और बंगलादेश के करीब 3 करोड़ मुस्लिम और हाल ही में बर्मा से भाग कर आये करीब 500 शरणार्थियो को जगह और भोजन दोनों दिया जा रहा है
5) अगर कोई हिन्दू किसी और धर्म के खिलाफ उपर के किसी भी कार्य को अंजाम दे देता है तो लगता है वो एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है और सतासीन के एक नेता जो कि राष्ट्रीय कुत्ते का का ख़िताब पा चुके है लगते है भौकने लेकिन उपर के किसी भी मुद्दे पर बेचारे ने कही अँधेरे में जाके मुह काला करना ही उचित समझा
अब कोई बताएगा कि अपनी अपनी श्रद्धा से पूजा करना और जुलुस निकलना भी मुस्लिम बहुल इलाको में गुनाह हो गया है या फिर मुस्लिम इन इलाको को पाकिस्तान और सउदी अरब मान बैठे है जहा दुसरे धर्म कि उपासना करना एक गुनाह ही माना जाता है अगर ये दोनों में से कोई भी है तो ये मुस्लिमो के लिए बहुत ही नुकसान करने वाली बात है वो यहुदियो वाली काम न करे जिसके चलते पुरे यूरोपे से यहुदियो का सफाया हो गया और आज भी वो हाथ पर गिन ने लायक ही बचे है, बार बार हिन्दू मुस्लिम भाई भाई बोलने वाले सेकुलर नस्ल के संकर समाज से मैं बस इतना पूछना चाहता हु कि क्या वो इन सब घटनाओ के बाद भी ऐसा बोलने का हौसला रखते है अगर हा तो उन सभी सेकुलर नपुन्सको को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए कम से कम उनकी कायरपन तो किसी को पता नहीं चलेगी वैसे भी गलती हिन्दुओ कि है उनकी मानसिकता ही गुलामो वाली हो गयी है बस कमाओ और खाओ भाई राजनीती और अपने अधिकार कि बात करना हमारे बस कि बात नहीं है, और तो और उस सत्तासीन पार्टी को तो हमें सीधा भारत छोडो का ज्ञापन देना चाहिए उन्हें भारत में ही रहने का कोई अधिकार नहीं है, उपर के सभी उदहारण से हम क्या समझे कि हमारी सरकार हमसे ज्यादा महत्व मुस्लिमो को देती है या फिर हमें अपने अधिकारों के प्रति सचेत ही नहीं है. अभी भी बहुत समय है हम चेत गए तो अच्छा है नहीं तो फिर वही होगा जो अभी से हमें कही कही मुस्लिम बहुल इलाको में देखने को मिल जाता है.
Kya sahi likha hai apane... i appreciate.. just we need to keep ourselves alive..
ReplyDeletethanks shashwat bhai !!
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