Tuesday, January 20, 2015
Tuesday, January 13, 2015
भारत का उन्नत समाज और विश्व भाग -II
आज भले ही विज्ञान कितना भी
तरक्की कर ले लेकिन आज के आधुनिक विज्ञान भी वैदिक विज्ञान के आगे बौना ही नजर आता
है लेकिन मानने वाले आज भी मानते है की वेदों में वर्णित विज्ञान केवल काल्पनिक है,
आज से कुछ शताब्दी पहले पृथ्वी के चक्कर
लगाने वाले मार्ग को सही बताने वाले पश्चिमी विचारको को पश्चिमी समाज जला कर मार
डालता था लेकिन वैदिक काल से ही हम सूर्य भगवान के उतारायण और दक्षिणायन गमन को
बताने वाला वैदिक विज्ञान आज के लिए मिथक है बस जब की हम सदियों से सूर्य के मकर
रेखा में आने का पर्व मकर सक्रांति मानते आये है और आधुनिक विज्ञान भी आज ये मानता
है लेकिन कुछ जाहिल लोग अभी भी वैदिक विज्ञान पर ऊँगली उठाते हुए नजर आते है जो की
पश्चिम के रटे रटाये विज्ञान को पढ़ के खुद को एक वैज्ञानिक से खुद को कम नहीं
मानते l
आज से 100 साल पहले भी अगर
को बोलता की अमेरिका में होने वाले कुछ घटना को हम भारत में बैठ के देख सकते है तो
लोग पागल घोषित कर देते और आज वो सच्चाई है जो विज्ञान दुनिया में आज लोकप्रिय है जिससे
हम कही भी होने वाले खेल को अपने घर बैठे आँखों से देखते है लेकिन महाभारत के
युद्ध में संजय के द्वारा आँखों देखा हाल महाराज धृतराष्ट्र को सुनाना उनको मिथक
लगता है क्या ये वैदिक समय के उन्नत विज्ञान का चमत्कार नहीं है जो की हमारे धार्मिक
ग्रंथो में भी वर्णित हैl उस समय के अमोघ अस्त्र और ब्रम्हास्त्र जिस से की पुरे
श्रृष्टि की विनाश होने की बात कही गयी है वो ही आज का परमाणु और अणु बम है लेकिन
फिर भी दिमाग से खाली लोग अभी भी उन पर सवालिया निशान ही लगाते है की वो सब काल्पनिक
बाते है, कल्पना भी कभी भी असामान्य नहीं होती कल्पना वही करता है जो सामने देखता
है लेकिन पश्चिम और लाल बंदरो के पढाये गए शैक्षिक दस्तावेजो से हम इतने मुर्ख हो
गए है की हमें सही और गलत में अंतर पता नहीं चलता l
विमानों का वर्णन वैदिक काल
से ही उल्लेखित है और अमेरिका भी मानता है की वैदिक काल के विमान कला आज के विमान
विज्ञान से काफी आगे है जो मन के गति से उड़ान भरते थे लेकिन आज विमान को उड़ते देख
के भी लोग ये नहीं समझ पते की क्यों नहीं वैदिक कल के भी लोग विज्ञान कला से भली
भांति परिचित थे l विमान कला ही क्यों अन्तरिक्ष विज्ञान से लेके गणित के कठिन से
कठिन प्रमेय भी वेदों में उल्लेखित है और तो और न्यूटन के गुरुत्वकर्षण नियम से
बहुत पहले ही भारत के ऋषि महर्षियो ने इस विज्ञान को भली भाति समझते थे और तो और
विश्व में पहली सर्जरी से लेकर विकसित चिकित्सा प्रणाली भारत में प्रचलित थी लेकिन
आज कल इसी बात पर बहस हो रही है की वो विज्ञान था या बस मिथक ? जो अभी भी इस बात
पर संदेह कर रहा हो उसे अपने मानसिक इलाज के लिए तैयार रहना चाहिए क्यूंकि वो सभी
तथ्य जो की वेदों में वर्णित है वो आज के आधुनिक विज्ञान से कही आगे है चाहे हो
सूर्य से पृथ्वी की दुरी हो या फिर प्रकाश की गति सब वेदों में वर्णित है और आज भी
वो सत्य है उन्हें आधुनिक विज्ञान झुठला नहीं सकता और नहीं वेदों में कही बाइबिल और कुरान की तरह पृथ्वी
को चपटा या सपाट नहीं बताया गया है बल्कि हम कह सकते है की आधुनिक विज्ञान भी
वेदों की कही बातो को ही सही साबित करते है l लेकिन फिर भी अंग्रेजो के गुलाम उनके
नाजायज औलाद भी भी हल्ला करते है की वो वैदिक विज्ञान तथ्यपूर्ण नहीं थे तो फिर
अफ़सोस ही होता है इन पढ़े लिखे मूर्खो पर l
सूर्य नारायण के मकर रेखा
में प्रवेश करने का पर्व मकर सक्रांति की सबको हार्दिक शुभकामनाये !
Tuesday, January 6, 2015
भारत का उन्नत समाज और विश्व भाग -1
भारतवर्ष को जी भर के लुटने
के बाद बाहर के लुटेरो का मन नहीं भरा तो उन्होंने भारत के इतिहास के साथ जबरदस्त
छेड़छाड़ किया, ताकि वो भारतवर्ष पर जी भर के शासन कर सके l मुस्लिम शासको ने जहा
भारत में धन और पद का लालच के साथ जान से मारने की धमकी के साथ हमारे उपर शासन
किया लेकिन उन्होंने भारत के शूरवीरो का मनोबल तोड़ने में विफल रहे क्यूंकि पुरे
भारत में उनका शासन स्थापित नहीं हो पाया था उस समय इस्लाम की आंधी पुरे एशिया को
अपने कब्जे में ले चुकी थी बस उत्तर-पूर्व में बसे जापान और चीन ही इस आंधी से बचे
थे बाकि भारत के पूर्व में बसे इंडोनेशिया और मलेशिया जो की भारत की तरह हिन्दू-बौद्ध
धर्म के अनुयायी थे वो पुरे तरह इस्लाम अपना चुके थे लेकिन बस पूण्य भूमि भारत अभी
भी इस्लाम को स्वीकार करना दूर उसे अभी भी संघर्ष कर रहा था लगभग 1000 सालो के
शासन के बावजूद भारत कभी भी इस्लाम को अंगीकार नहीं कर सका था बस कुछ बुजदिल लोग
जो धन और जान के डर से पश्चिम की ओर मुह करके अपने पिछवाड़े को पूर्व की ओर करना
सिख गए थे लेकिन फिर भी भारत की मुख्यधारा हिंदुत्व का कोई जवाब नहीं खोज सके l
औरंगजेब के पतन के साथ ही
भारतवर्ष पर अंग्रेजो ने अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू कर दी थी क्यूंकि औरंगजेब अपने पूर्वजो की सलाह के बावजूद वो गलती कर बैठा
जो मुग़ल सल्तनत के बाकि बादशाहों ने कभी नहीं किया, औरंगजेब जो की जिन्दा पीर के
नाम से मशहूर था उसने समाज में हिन्दू बहुल समाज से दुश्मनी मोल ले लिया और
हिन्दुओ का जी भर के दमन किया और उसका फल उसे बहुत जल्दी मिला जब हिन्दू सम्राट
शिवाजी महाराज और पश्चिम भारत में सिख साम्राज्य ने उसे कभी भी चैन की सांस नहीं
लेने दिया और उसे मरते समय भी कभी चैन नहीं आया और दक्षिण भारत के एक अभियान में
उसने अपने अंतिम सांस लिया यह कहना गलत नहीं
होगा की औरंगजेब ने ही भारत में मुग़ल साम्राज्य के लिए ताबूत तैयार किया था
जो उसने हिन्दुओ से दुश्मनी मोल ली थी उसके बाकि के पूर्वजो ने हिन्दुओ के दुशमनी
के साथ दोस्ती और रिश्ते भी स्थापित करी थी लेकिन जिन्दा पीर बनने की चाहत ने
औरंगजेब की हालत ऐसी कर दी की बाद के मुग़ल शासक बस इतना कमजोर बन गए की वो अपनी
इज्जत भी न बचा सके उनके सेनानायक समेत उनके वजीरो ने उनकी हालत इतनी कमजोर कर दी
की वो आखिर में आधुनिक भारत में अभी भी मुगलों के वंशज चाय बेचते है या फिर भुखमरी
के कगार पर है ...... बाकि का लेख अगले
अंक में
Monday, January 5, 2015
देश की गद्दार मीडिया और सेखुलर समाज
जब 2008 में UPA सरकार थी
तब नाव से ही आये कुछ तस्करों ने मुंबई में भारी तबाही मचाई थी और उस समय खान्ग्रेस
एंड पूरा गैंग इस हमलो को रोकने में नाकाम हो गया था लेकिन अभी भाजपा सरकार ने जिस
तरह पूरी तरह से इस तरह के हमले जो की “प्रवासी भारतीय” दिन के होने वाली थी उसे
रोका है उससे खतरनाक मंसूबे बनाने वाले तो खिन्न हुए ही होंगे लेकिन खान्ग्रेस एंड
गैंग जिस तरह से उस बोट वालो के लिए वकालत कर रही है उसे देख ये यही लगता है की या
तो ये गैंग वैसा ही खतरनाक मंसूबे में शामिल थी या फिर उसे बड़ा ही दुःख हुआ की
क्यों हमला नहीं हुआ इस देश में ध्यान रहे की वह 12 जनवरी के एक कार्यक्रम में
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भी जाने वाले थे l
अगर उनपर हमला होता तो देश में
क्या होता सभी जानते है और अगर प्रवासी भारतीय मेला में अगर हमला होता तो उस में भी
काफी बड़ा नरसंहार होता और वो भी प्रवासियों का पुरे भारत का विश्व के सामने ख़राब
तस्वीर बन जाती और प्रधानमंत्री जो की इतने मेहनत से लगे है भारत में निवेश का
माहौल बनाने में वो सारा माहौल ख़राब हो जाताl आखिर कौन है इन हमलो के
पीछे ??? या तो भारत में निवेश रोकने वाले या फिर प्रधानमंत्री की हत्या कर के देश में
अराजकता फ़ैलाने वाले ??? और अगर दोनों में से कोई हो लेकिन दोनों के इरादे भारत के लिए
सही नहीं है और सबसे बड़ी बात इनकी तरफदारी करने वाली खान्ग्रेस और मिडिया क्यों
उनका बचाव कर रही है ?? दो मिडिया समूह ने तो इसके लिए खास कार्यक्रम चलाया NDTV
ने इस पर बहस चलायी की वो स्मगलर थे और The Indian Express ने एक आर्टिकल अपने सम्पादकीय
पृष्ठ पर इसके लिए खास लेख लिखा की तटरक्षक बल ने पाकिस्तान के मछुवारो की नाव पर
हमला करके उसे जला दिया l
और इनके इसी करतूतों की वजह
है की इसमें पाकिस्तानी सेना के भागीदारी के बावजूद पाकिस्तान सीमा पर हम पर हमले
करता है क्यूंकि उसे पता है की भले ही खान्ग्रेस एंड गैंग सत्ता में नहीं हो
लेकिन पैसे का वो नमक अदा कर के रहेगीl शर्म आती है देश के इन गद्दारों पर
और सबसे ज्यादा आश्चर्य होता है इस देश की निक्कमी जनता की जो इतना सब कुछ खुल्ला
देख के भी इन देशद्रोहियों की असलियत नहीं समझ रही l क्या हम इतने मुर्ख है जो की
देश के दुश्मन आज देश में खुले आम इस तरह से सरेआम देश को बदनाम कर रही है और हम
भेड़ बकरी की तरह उनकी तरफ देख रहे है
Saturday, January 3, 2015
खुद का पतन करता हिन्दू समाज
भारतीय समाज हमेशा से अपने
ज्यादा उदार होने का खामियाजा उठाता आया है लेकिन इससे हमने कोई सिख नहीं लिया हैl
प्राचीन काल में जब राजतन्त्र का दौर था और उस समय में राजा जिस धर्म को मानता था
उसे जबरन प्रजा पर भी थोपा जाता था लेकिन हमारे भारतीय समाज में ऐसा कोई जबरदस्ती
नहीं थी लोग धर्मं और अपने और भी निर्णय के लिए स्वतंत्र थे, ये जोरदार तमाचा है
उन कथित पाखंडियो के मुह पर जो अभी सभ्यता और संस्कृति के लिए पश्चिम का अनुसरण
करते हैl हमारी मातृभूमि ने दुनिया को कई पंथ दिए बौद्ध धर्म जिसको मानने वाले जी
भर के हिंदुत्व को कोसते है लेकिन जिस समय बौद्ध धर्म का उदय हो रहा था तो उसे
संरक्षण देने वाले साम्राज्य हिन्दू साम्राज्य थे और खुद तब के हर्यंक वंश के
सम्राट बिम्बिसार ने इस धर्म के बहुत बड़े संरक्षक थे लेकिन कुछ मुर्ख लोग अभी भी
मुगलों और अंग्रेजो का इतिहास पढ़ कर हिन्दुत्व और हिन्दू समाज को गाली देने से
नहीं चुकते बस जरा सोचिये अगर महात्मा बुद्ध यूरोप या अरब में होते तो उनके साथ
क्या होता ?? लेकिन झूठा इतिहास पढ़ के गुमराह हुए एक बड़े जन समुदाय को आप कैसे
समझा सकते जब उनके दिमाग में जाति पाती का झूठा जहर भर दिया गया हो और बौद्ध पंथ
ही क्यों भारत की समृद्ध धरा तो जैन पंथ, सिख पंथ की भी जननी है l इन पन्थो के
अलावा भी भारत हमेशा से दुसरे पन्थो के लिए भी शरण स्थली साबित हुआ है l जब इस्लाम
अरब समाज में फ़ैल रहा था तो फारस का पुराना धर्म जरथ्रुस्त के अनुयायियों का
जबरदस्त नरसंहार हुआ और जो जान बचा के भागे उन्हें भारत की पुण्य भूमि ने ही शरण
दिया जिन्हें आज हम पारसी समुदाय बोलते है
और हालत आज ये है की पूरी दुनिया में आज पारसी
बस भारत में ही पाए जाते है l
हम सहिष्णुता के साथ बस एक
गलती कर जाते है की अपने साथ होने वाली गलतियो को नजरअंदाज कर देते है जो की अतीत
से हमें बार बार सोचने पर मजबूर करती है लेकिन फिर भी हम अपनी गलतियो से बाज नहीं
आते l अभी उदाहरण के लिए देखिये कैसे हिन्दू की भावनाओ का मजाक खुद उन्ही के देश में
खुद उनकी चुनी सरकार उड़ाती है, जनवरी 2013 में एक फिल्म आई थी “विश्वरूपम” जिसे हमारे
देश के बड़े कलाकार कमल हासन ने बनाया था उसमे तालिबान के असली कृत्यों को दर्शाया
गया था जिसके चलते हमारे देश के मुसलमानों की भावनाए आहत हो गयी थी और नौबत यहाँ
तक आ गई थी की कमल हासन साहब उस समय के खान्ग्रेस सरकार से इतने आहत हो गए थे की
उन्होंने देश छोड़ने की धमकी भी दे दी थी लेकिन फिर भी सरकार ने उनसे माफ़ी मंगवाई
और साथ में फिल्म के कुछ दृश्य भी हटाई गई फिर फिल्म रिलीज हुई और अभी कुछ दिन
पहले एक तमिल फिल्म “शिवम्” में कुछ दृश्यों के ऊपर सेंसर बोर्ड ने ये कहते हुए
कैंची चला दी की इससे समुदाय विशेष की भावनाए आहत हो रही है लेकिन उसी सेंसर बोर्ड
को PK में कुछ गड़बड़ नजर नहीं आई क्यूंकि वो हिन्दुओ के खिलाफ है न की कुछ समुदाय विशेष के खिलाफ और
तो और हमारे देश के एक होनहार मुख्यमंत्री ने तो इसे टैक्स फ्री कर दिया ताकि वो
खुद को फिल्म के साथ अरब नस्ल का होने का
प्रमाण दे सके l
अभी भी समय है नहीं तो वो
दिन दूर नहीं है जब हम भी पुराने पारसी धर्म की तरह विलुप्त प्राय हो जायेंगे अगर
सही समय पर हम नहीं चेते तो क्यूंकि वो भी अपने ज़माने में बहुत ही उदार हुआ करते थे
और आज उनकी गिनती उंगलियो पर हो सकती हैं
वो भी किसी दुसरे देश में तो समय रहते जाग जाओ हिन्दुओ नहीं तो आने वाला समय बहुत
दुश्वार हो सकता है
Subscribe to:
Posts (Atom)