दुनिया का इतिहास पुछता,
रोम कहाँ, युनान कहाँ?
घर_घर में शुभ_अग्नि जलाता,
वह उन्नत इरान कहाँ है ?
बुझे दीप पश्चिमी गगन के,
व्याप्त हुआ बर्बर अंधियारा ।
किंतु, चीर कर तम की छाती,
चमका हिन्दुस्तान हमारा ।
शत_शत आघातों को सहकर,
जीवित हिन्दुस्तान हमारा ।
जग के मस्तक पर रोली सा,
शोभित हिन्दुस्तान हमारा ।
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