आजकल हमारे संसद के माननीय लोग किरण बेदी और ओम पुरी के पीछे हाथ धो के पड़ गए है | माननीयो का कहना है की न सिर्फ किरण बेदी और ओम पुरी खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस दिया जाये बल्कि उन्हें जेल भी हो | लेकिन हमारे कई ऐसे मंत्री है जिन्होंने खुल्लेआम बाबा रामदेव को ठग, चोर और अन्ना जी को मदारी और ब्लैकमेलर कहा तो क्या हमारी संसद इनके खिलाफ भी कोई नोटिस देगी ?
जब हमारे मंत्री महोदय जिनसे की अपेक्षा की जाती हैं की ये लोग पुरे संयमित रहेंगे और आदर्श व्यवहार करेंगे लेकिन आज कल ये लोग दुसरे को क्या बोलेंगे जब ये खुद ही मर्यादा भूल कर गली के टपोरियो की तरह व्यवहार करने लगते है, अभी ज्यादा पीछे न जाये तो कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी को ही ले लीजिये, सता पक्ष के प्रवक्ता है इतनी बड़ी जिम्मेदारी है फिर भी अन्ना को लेके तू तू मैं मैं पर उतर गए थे | हालाँकि बाद में माफ़ी भी मांग ली पर पुरे एक सप्ताह बाद इनको अपनी गलती का अहसास हुआ और इन्होने माफ़ी मांगी | लेकिन ये बात संसद में नहीं गूंजी के एक गांधीवादी और वृद्ध सामाजिक कार्यकर्त्ता जो की देशहित में शांतिपूर्वक आन्दोलन कर रहा था उसके खिलाफ ऐसे अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया वो भी अगर कोई आम आदमी होता तो इसको नजरंदाज किया जा सकता था लेकिन देश के सबसे बड़े पार्टी के प्रवक्ता के मुह से ऐसे अल्फाज किसी को भी हजम नहीं हुआ था, और इसी पार्टी के तो सचिव महोदय दिग्विजय सिंह जी का तो इसमें कोई महारत हासिल है किसी को भी बुरा भला कह देना और आततायी बिन लादेन जो की धरती पर आतंक का दूसरा नाम था और कितनी इंसानी जिंदगियो को तबाह किया उसके लिए ओसामा जी जैसे संज्ञा प्रयोग करने वाले पर भी संसद और उसके माननीय सदस्य अगर चुप रहे तो क्या हम ये सोच ले की मंत्री और संसद सदस्यों को कुछ भी बोलने और करने की आजादी है और उनके खिलाफ कोई भी कुछ नहीं कर सकता या फिर हम ये सोचे की कांग्रेस ने खास कर ऐसे महानुभाओ को ऐसे ऐसे महान कार्य करने के लिए नियुक्त कर रखा है
अब आते है किरण बेदी जी और ओम पुरी जी पर तो अगर इन्होने किसी को गंवार यार अनपढ़ बोला है, "हमारा नेता चोर है" बोला है तो इसमें बुरा लगने वाली बात ही क्या है ? अगर आप सच में अनपढ़ है और गंवार तो भी ये सच्चाई है और आप इसे स्वीकार कीजिये और अगर आप अनपढ़ और गंवार नहीं है तो फिर इसमें तमतमाने वाली क्या बात है, वहीं किरन बेदी ने नेताओं की नकल उतारते हुए कहा था कि वे मुखौटे पहनते हैं। तो इसमें गलत ही क्या बोला हैं, जैसे अन्ना प्रकरण पर सरकार ने पल पल रंग बदला है उसे देखते हुए तो यही बोलना उचित लगा था | इन तमाम नेताओ ने भी तो बाबा रामदेव को चोर, ठग और अन्ना जी को भी भ्रष्टाचारी बोला था तो किसी ने भी हाय तौबा नहीं मचाई थी तो फिर अब ये फिजूल का हल्ला क्यों ? क्या इससे ये लोग ये लोग हल्ला करके क्या साबित करना चाह रहे है ? ये सब समझ के बहार है | इन माननीय संसद सदस्य पहले अपना व्यवहार और भाषा के देखे और आत्मचिंतन करे | आखिर आप बबूल का पेड़ लगा के आम की उम्मीद कैसे कर सकते हैं
-- अक्षय कुमार ओझा
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