Thursday, July 2, 2015

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 114वी जयंती : 6 जुलाई 2015


डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी : व्यक्तित्व , कृतित्व और बलिदान

मुखर्जी का जीवन ( 6 जुलाई 1901-23 जून 1953) मात्र 52 वर्ष का था , इतने लघु जीवन में वह 32 आयु में कोलकोत्ता विश्वविधालय के कुलपति(1934 से 1936 तक) बने l कलकात्ता विश्वविधालय की ओर से वह वर्ष 1929 में बंगाल लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य बने l वर्ष 1937-41 में जब कृषक प्रजा पार्टी और मुस्लिम लीग सत्ता में थी तब वह विरोधी पक्ष के नेता बने l मुखर्जी वर्ष 1941-42 में बंगाल province कौंसिल में वित्त मंत्री बने लेकिन बाद में त्यागपत्र दे कर हिन्दुओं के प्रवक्ता बनेl इसी बीच वह संघ के लखीमपुर जिले में प्रचारक भी रहे, द्वितीय वर्ष संघ का शिविर भी नागपुर से किया l और वर्ष 1944 में हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बने l


नोआखाली में हिन्दुओं के नरसहांर पर उनके द्वारा की गयी कड़ी प्रतिक्रिया का व्यापक प्रभाव पड़ा ,
नेहरु ने उनकी असाधारण प्रतिभा के कारण से मुखर्जी को अपने मंत्री मंडल में उद्योग और सप्लाई मंत्री का पद दिया l भांखडा नंगल डेम और भिलाई स्टील प्लांट मुखर्जी की राष्ट्र को देन है l वर्ष 1950 में नेहरु और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री के बीच हुए दिल्ली समझोते में पाकिस्तान में हो रहे हिन्दुओं के नर सहार की सुरक्षा का प्रावधान न होने के कारण से मुखर्जी ने मंत्री मंडल से त्याग पत्र दे दिया और जन संघ की स्थापना 21 अक्टूबर 1951 को की और 1952 तक इसके अध्यक्ष रहे l प्रथम लोक सभा चुनाव में तीन लोक सभा अपनी सीट के साथ जीती l मुखर्जी ने लोक सभा में 32 संसद सदस्यों का नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी बनायीं जिनके 10 सदस्य सभा में भी थे l मुखर्जी मुस्लिम तुष्टिकरण के विरुद्ध थे l कॉमन सिविल कोड के पक्षधर थे और जम्मू व् कश्मीर में मुस्लिम बाहुल्य रखे जाने के लिए सविधान की धारा 370 का विरोध करते थे l गाय हत्या पर प्रतिबन्ध लगाना चाहते थे l

जम्मू व् कश्मीर को विशेष दर्जा देने के पर मुखर्जी ने कहा " एक देश में दो विधान , दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेगे l जम्मू कश्मीर का अलग सविधान बनाया गया , जम्मू /कश्मीर के मुख्य मंत्री को प्रधान मंत्री का पद दिया गया और जम्मू - कश्मीर का अलग झंडा बनाया गया l इतना ही नहीं जब भी कोई जाता तो उसे जम्मू -कश्मीर में प्रवेश से पूर्व परमिट लेना होता था l इसके विरोध में मुखर्जी ने बिना परमिट के जम्मू -कश्मीर गए ,11 मई 1953 को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर एक टूटे फूटे मकान में रखा l वहां उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया l उन्हें पेंसल्लिन का इंजेक्शन दिया गया , जिसे उन्हें एलर्जी थी , परिणाम स्वरूप वह 23 जून को चल बसे l उनकी रहस्यमय मृत्यु पर जाँच की मांग नेहरु ने नहीं मानी और यह आज भी एक रहस्य बना है कि उनकी मौत की जाँच न किया जाने के पीछे क्या कारण थे l राष्ट्रवाद के पुराधा , भारत माता के सपूत , एक राष्ट्र नायक को देश भक्तों की उनके जन्म दिवस पर विनम्र श्रदांजली l

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