लगभग 1400 साल पहले विश्व में इस्लाम का भयानक काला अन्धेरा छाना आरम्भ हुआ था ,,,भारत के सिंध ने तो लगभग तभी इस्लाम के भयानक घाव झेले थे !!!!! लेकिन राजपूतो के संघर्ष से बाद में तीन सौ साल मुस्लिम लुटेरे भारत में नहीं आ पाए ,,,,लेकिन उसके बाद जब मुस्लिम दरिंदो की बाढ़ आई तो उसने समस्त उत्तर और पश्चिम भारत को पद दलित कर दिया ,,,सोमनाथ का मंदिर टूट गया ,,,दिल्ली के सिंहासन पर सन 1250 तक पठानों का कब्जा हो चुका था !!!!! उस समय तक य्त्तर भारत में राजपूत इन पठानों ,,तुर्कों ,,आदि से भरसक संघर्ष कर रहे थे !!!!!!!
लेकिन तब तक दक्षिण शांत था ,,,,देवगिरी के राज्य में शान्ति व्याप्त थी !!!ये महाराष्ट्र के यादव राजाओं की राजधानी थी ,,,मराठा गेरुआ ध्वज स्वाभिमान से लहराता था !!!!वहां बहुत प्रचंड पहाडी किला था !!!भयंकर खाइयों में मगर भरे थे !!!!शत्रु आने की सोच भी नहीं सकता था !!!सह्याद्री पर्वत और विशाल समुद्र महाराष्ट्र की दौलत थी !!!वहां के भिल्लम सिंघनदेव,,कृष्णदेव और महादेव आदि राजाओं के राज में अनेक विद्वानों ,,महापुरुषों और कलावन्तो ने संरक्षण पाया था !!!!1294 में वहां के राजा थे रामदेव राव !! वे उत्तर और पश्चिम भारत में हो रहे भयानक इस्लामी आतंक से बिलकुल बेखबर थे !!!फरवरी में राजा रामदेव अपनी सेना के साथ अपने धारागढ़ किले से बाहर थे ,,,,दिल्ली के अलाउद्दीन खिलजी ने हवा और बिजली की तरह भयानक आक्रमण कर दिया !!!समस्त महाराष्ट्र स्तब्ध था इन नराधमो के भयानक अत्याचारों से ,,,,भयानक लूटपाट और रक्तपात मचाया गया ,,,बेखबर और बिना तय्यारी के राजा रामदेव ने पीछे से आक्रमण किया !!! लेर्किन दुर्दांत पठानों के आगे उनकी सेना के पाँव उखड गए !!!बिना शर्त अपमान जनक समर्पण करना पडा !!!!!खिलजी ने करोड़ों रूपये और रामदेव की कन्या की मांग की !!!!! मांग पूरी हुई !!!!!!!!!
देवगिरी की इज्जत लुट गयी !!!सैकड़ों सालों से उत्तर भारत इस्लामी आतंक से लड़ रहा था लेकिन महाराष्ट्र मौन होकर सुख की नींद में था !!!!!!! अब वहां बर्बादी छा गयी !! 6 फरवरी 1294 से वहां परतंत्रता का भयानक अन्धेरा छा गया !!! मराठे वीर मुस्लिम सुल्तानों के गुलाम बन गए !!!!मराठा धरती ,,,संस्कृति ,,,धर्म ,,धरा ,,,प्रतिष्ठा सब जंजीरों में जकड गए !!!!!एक एक करके तीन सदियों तक विभिन्न सुलतान महाराष्ट्र को पैरो से कुचलते रहे ,,,उनकी ताकत थे महाराष्ट्र के ही मराठा गुलाम !!!!!!स्वाभिमान बेच कर मराठा वीर गुलामी में ही शौर्य मानने लगे !!!!,,,विवेक खोकर आपस में ही लड़ कर अपनी ताकत दिखाते रहते ,,लेकिन कभी स्वाधीन बनने की कल्पना भी नहीं करते थे !!!! ज्ञानेश्वरी का ज्ञान अँधेरे में डूब चुका था !!!!ऐसे भयानक काल में 1560 में संत एकनाथ ने जन्म लिया !!!!वे अपनी भक्ति की धारा से मराठों की विवेक शक्ति को सींचने लगे !!!!उनमें धर्म के छुपे तत्व को जागृत करने लगे !
भयानक परतंत्रता के काल में संत एकनाथ ने 1560 में जन्म लेकर ,,महाराष्ट की धरा को भक्ति के रस से सींचा !!गहन अन्धकार में उन्होंने मराठों की सोयी विवेक शक्ति को जगा कर धर्म का बीजारोपण किया !!!उन्होंने 1607 में परलोक गमन किया !!!उनके जीवन की संध्या पर महाराष्ट्र के पूर्व में धर्म की कुछ उज्जवल किरणें फूटती दिखी !! वेरुल के भोंसलो के वंश में दो पुत्र हुए मालोजी और विठोजी !!!दोनों निजाम के दरबार में नौकर थे !!!उनमें दरबारी कार्यों के अलावा कुछ धर्म बुद्धि उदित हुई !!!वे माता भवानी एवं भगवान् शंकर के भक्त थे !!!!मालोजी ने घृषनेश्वर ज्योतिर्लिंग के मंदिर का पुनुरुद्धार कराया !!!!शिंगणापुर में मालोजी ने विशाल तालाब बनवाकर वहां अन्न सत्र आरम्भ किया !!!
पुणे के जन मानस में धर्म की आनंद लहरी नाचने लगी !!!!!15 मार्च 1598 को मालो जी के घर एक पुत्र ने जन्म लिया ,,नाम रखा गया --शहा जी !!! दो वर्ष बाद दुसरे पुत्र शरीफ जी ने जन्म लिया !!!!!1605 में इन्दापुर में भयंकर युद्ध हुआ ,,,,मराठे वीरों ने निजाम की और से अद्भुत पराक्रम दिखाया !!!! मालोजी मारे गए ,,,सुलतान मराठों की वीरता देखकर आतंकित सा था !!!!!,शहा जी की माता उमाबाई साहेब सती होने चली !!!देवर विठोजी ने बच्चो के छोटे होने का हवाला देकर रोका !!!!! विठोजी के भी 8 पुत्र थे !!खेलो जी ,,मम्बा जी ,,,संभा जी ,मालो जी ,,,नागो जी ,,परसों जी ,,,त्रयम्बक जी और कक्का जी !!!!1608 में शहा जी 10 वर्ष के हुए !!!विठोजी ने उनका विवाह सिदखेड के जाधव वंश के लखुजी जाधव की लाडली जिजाऊ से तय किया !!!!जल्दी ही शरीफ जी का भी विवाह दुर्गा बाई से हुआ !!!!!मालो जी ने पुणे की जनता में धर्म की लहरे उत्पन्न की थी ,,अब उनकी संतति वहां की जनता को आनंद प्रदान करने लगी !!!!,,,,भोंसले और जाधव मराठा वीरों के बल पर ही निजाम की सल्तनत टिकी हुई थी !!!! दोनों सुलतान के खिदमतगार थे !! !इन्दापुर में मराठा वीरो के पराक्रम से निजाम इनसे आतंकित सा रहता था !!!! लेकिन ये मराठे वीर बुद्धिहीनो की तरह ,,अपना स्वराज्य स्थापित करने के स्थान पर निजाम की गुलामी को ही गौरव मानते थे !!!! उनकी वीरता आपस में ही निकलती रहती थी !!!!हिन्दू द्रोही मुस्लिम शासक के राज्य को मजबूत करने में उनकी ताकत लग रही थी !!!!!!1622--- एक दिन निजाम का दरबार बर्खास्त हुआ ,,,,लखु जी अपने महल में लौट गए !!!शहा जी उनके भाई ,,अन्य भोंसले और जाधव योद्धा बाहर निकल रहे थे !!!!
दरवाजे पर भारी भीडभाड हो गयी !!!!तभी खंडागले का हाथी बिदक गया ,,वो भीड़ को कुचलने लगा !!!लखु जी के पुत्र दत्ता जी जाधव अपने सैनिको के साथ उसे रोकने का प्रयास करने लगे ,,,हाथी ने उन सैनिको को कुचल दिया !!!दत्ता जी क्रोध में पागल हो कर हाथी को मारने भागे !!! भोसले योद्धाओं ने कहा आप हाथी को मत मारें ,,हम इसे संभाल लेंगे !!!!!लेकिन दत्ता जी ने अपने घातक वारों से हाथी को मार डाला और उसके बाद भोसले वीरो पर टूट पड़े !!!! संभा जी भोंसले के प्रहार से निजाम के दरबार में ही दत्ता जाधव मारे गए !!!!लखु जी तक खबर पहुँची ,,,वे आँखों में रक्त लिए तलवार लेकर भागे !!!!!क्रोध में अपने जवान शहा जी पर ही प्रहार किया ,,,,,वे गिर गए ,,,,,लखु जी के दुसरे प्रहार में संभा जी मारे गए !!!तभी शोर सुन कर निजाम छज्जे पर आया !!!चिला कर मराठा वीरों को फटकारता हुआ बोला क्यों यहाँ शोर शराबा करते हो ,,दफा हो जाओ !!!!!!!सारे मराठे चुप होकर निकल गए ,,,एक हाथी के पीछे जाधव और भोसले वीर एक दुसरे के खून के प्यासे होकर शत्रु बन गए !!!!!!!!---क्षण भर में रिश्ते तार तार हो गए !!!!!
जीजा बाई अत्यंत दुखी हो गयी !!!एक ही झटके में सगा भाई और देवर दोनों मारे गए ,,,किसके लिए रोयें ???,किसको कोसे ???स्वराज्य की क्रान्ति का सपना जन्म से पहले ही मर गया !!!!!मराठे यूँ ही स्वाभिमान शून्य होकर ,,आपस में वैर ठान कर मलेच्छो के राज्य को मजबूत करते थे !!!!जीजा बाई माता भवानी के मंदिर में जाकर फूट फूट कर रोने लगी !!! हे माँ क्या कभी ये गुलामी के अँधेरे चंतेंगे ???क्या कभी कोई ये कुत्तों की तरह लड़ना छोड़ कर स्वाराज्य स्थापना के विषय में सोचेगा ????कब ये हिन्दू कीड़े मकोड़े जैसी जिन्दगी से उबरेंगे ??????हे माँ तू मराठो में स्वाभिमान जगा !!! हे मा तू उन्हें ये मलेच्छ राज्य नष्ट करने की प्रेरणा दे !!!!! सब वैर के बाद भी जेजाबाई और शहाजी के मध्य प्रेम अमिट था !!!
-बलराज जी (गौसेवक )
लेकिन तब तक दक्षिण शांत था ,,,,देवगिरी के राज्य में शान्ति व्याप्त थी !!!ये महाराष्ट्र के यादव राजाओं की राजधानी थी ,,,मराठा गेरुआ ध्वज स्वाभिमान से लहराता था !!!!वहां बहुत प्रचंड पहाडी किला था !!!भयंकर खाइयों में मगर भरे थे !!!!शत्रु आने की सोच भी नहीं सकता था !!!सह्याद्री पर्वत और विशाल समुद्र महाराष्ट्र की दौलत थी !!!वहां के भिल्लम सिंघनदेव,,कृष्णदेव और महादेव आदि राजाओं के राज में अनेक विद्वानों ,,महापुरुषों और कलावन्तो ने संरक्षण पाया था !!!!1294 में वहां के राजा थे रामदेव राव !! वे उत्तर और पश्चिम भारत में हो रहे भयानक इस्लामी आतंक से बिलकुल बेखबर थे !!!फरवरी में राजा रामदेव अपनी सेना के साथ अपने धारागढ़ किले से बाहर थे ,,,,दिल्ली के अलाउद्दीन खिलजी ने हवा और बिजली की तरह भयानक आक्रमण कर दिया !!!समस्त महाराष्ट्र स्तब्ध था इन नराधमो के भयानक अत्याचारों से ,,,,भयानक लूटपाट और रक्तपात मचाया गया ,,,बेखबर और बिना तय्यारी के राजा रामदेव ने पीछे से आक्रमण किया !!! लेर्किन दुर्दांत पठानों के आगे उनकी सेना के पाँव उखड गए !!!बिना शर्त अपमान जनक समर्पण करना पडा !!!!!खिलजी ने करोड़ों रूपये और रामदेव की कन्या की मांग की !!!!! मांग पूरी हुई !!!!!!!!!
देवगिरी की इज्जत लुट गयी !!!सैकड़ों सालों से उत्तर भारत इस्लामी आतंक से लड़ रहा था लेकिन महाराष्ट्र मौन होकर सुख की नींद में था !!!!!!! अब वहां बर्बादी छा गयी !! 6 फरवरी 1294 से वहां परतंत्रता का भयानक अन्धेरा छा गया !!! मराठे वीर मुस्लिम सुल्तानों के गुलाम बन गए !!!!मराठा धरती ,,,संस्कृति ,,,धर्म ,,धरा ,,,प्रतिष्ठा सब जंजीरों में जकड गए !!!!!एक एक करके तीन सदियों तक विभिन्न सुलतान महाराष्ट्र को पैरो से कुचलते रहे ,,,उनकी ताकत थे महाराष्ट्र के ही मराठा गुलाम !!!!!!स्वाभिमान बेच कर मराठा वीर गुलामी में ही शौर्य मानने लगे !!!!,,,विवेक खोकर आपस में ही लड़ कर अपनी ताकत दिखाते रहते ,,लेकिन कभी स्वाधीन बनने की कल्पना भी नहीं करते थे !!!! ज्ञानेश्वरी का ज्ञान अँधेरे में डूब चुका था !!!!ऐसे भयानक काल में 1560 में संत एकनाथ ने जन्म लिया !!!!वे अपनी भक्ति की धारा से मराठों की विवेक शक्ति को सींचने लगे !!!!उनमें धर्म के छुपे तत्व को जागृत करने लगे !
भयानक परतंत्रता के काल में संत एकनाथ ने 1560 में जन्म लेकर ,,महाराष्ट की धरा को भक्ति के रस से सींचा !!गहन अन्धकार में उन्होंने मराठों की सोयी विवेक शक्ति को जगा कर धर्म का बीजारोपण किया !!!उन्होंने 1607 में परलोक गमन किया !!!उनके जीवन की संध्या पर महाराष्ट्र के पूर्व में धर्म की कुछ उज्जवल किरणें फूटती दिखी !! वेरुल के भोंसलो के वंश में दो पुत्र हुए मालोजी और विठोजी !!!दोनों निजाम के दरबार में नौकर थे !!!उनमें दरबारी कार्यों के अलावा कुछ धर्म बुद्धि उदित हुई !!!वे माता भवानी एवं भगवान् शंकर के भक्त थे !!!!मालोजी ने घृषनेश्वर ज्योतिर्लिंग के मंदिर का पुनुरुद्धार कराया !!!!शिंगणापुर में मालोजी ने विशाल तालाब बनवाकर वहां अन्न सत्र आरम्भ किया !!!
पुणे के जन मानस में धर्म की आनंद लहरी नाचने लगी !!!!!15 मार्च 1598 को मालो जी के घर एक पुत्र ने जन्म लिया ,,नाम रखा गया --शहा जी !!! दो वर्ष बाद दुसरे पुत्र शरीफ जी ने जन्म लिया !!!!!1605 में इन्दापुर में भयंकर युद्ध हुआ ,,,,मराठे वीरों ने निजाम की और से अद्भुत पराक्रम दिखाया !!!! मालोजी मारे गए ,,,सुलतान मराठों की वीरता देखकर आतंकित सा था !!!!!,शहा जी की माता उमाबाई साहेब सती होने चली !!!देवर विठोजी ने बच्चो के छोटे होने का हवाला देकर रोका !!!!! विठोजी के भी 8 पुत्र थे !!खेलो जी ,,मम्बा जी ,,,संभा जी ,मालो जी ,,,नागो जी ,,परसों जी ,,,त्रयम्बक जी और कक्का जी !!!!1608 में शहा जी 10 वर्ष के हुए !!!विठोजी ने उनका विवाह सिदखेड के जाधव वंश के लखुजी जाधव की लाडली जिजाऊ से तय किया !!!!जल्दी ही शरीफ जी का भी विवाह दुर्गा बाई से हुआ !!!!!मालो जी ने पुणे की जनता में धर्म की लहरे उत्पन्न की थी ,,अब उनकी संतति वहां की जनता को आनंद प्रदान करने लगी !!!!,,,,भोंसले और जाधव मराठा वीरों के बल पर ही निजाम की सल्तनत टिकी हुई थी !!!! दोनों सुलतान के खिदमतगार थे !! !इन्दापुर में मराठा वीरो के पराक्रम से निजाम इनसे आतंकित सा रहता था !!!! लेकिन ये मराठे वीर बुद्धिहीनो की तरह ,,अपना स्वराज्य स्थापित करने के स्थान पर निजाम की गुलामी को ही गौरव मानते थे !!!! उनकी वीरता आपस में ही निकलती रहती थी !!!!हिन्दू द्रोही मुस्लिम शासक के राज्य को मजबूत करने में उनकी ताकत लग रही थी !!!!!!1622--- एक दिन निजाम का दरबार बर्खास्त हुआ ,,,,लखु जी अपने महल में लौट गए !!!शहा जी उनके भाई ,,अन्य भोंसले और जाधव योद्धा बाहर निकल रहे थे !!!!
दरवाजे पर भारी भीडभाड हो गयी !!!!तभी खंडागले का हाथी बिदक गया ,,वो भीड़ को कुचलने लगा !!!लखु जी के पुत्र दत्ता जी जाधव अपने सैनिको के साथ उसे रोकने का प्रयास करने लगे ,,,हाथी ने उन सैनिको को कुचल दिया !!!दत्ता जी क्रोध में पागल हो कर हाथी को मारने भागे !!! भोसले योद्धाओं ने कहा आप हाथी को मत मारें ,,हम इसे संभाल लेंगे !!!!!लेकिन दत्ता जी ने अपने घातक वारों से हाथी को मार डाला और उसके बाद भोसले वीरो पर टूट पड़े !!!! संभा जी भोंसले के प्रहार से निजाम के दरबार में ही दत्ता जाधव मारे गए !!!!लखु जी तक खबर पहुँची ,,,वे आँखों में रक्त लिए तलवार लेकर भागे !!!!!क्रोध में अपने जवान शहा जी पर ही प्रहार किया ,,,,,वे गिर गए ,,,,,लखु जी के दुसरे प्रहार में संभा जी मारे गए !!!तभी शोर सुन कर निजाम छज्जे पर आया !!!चिला कर मराठा वीरों को फटकारता हुआ बोला क्यों यहाँ शोर शराबा करते हो ,,दफा हो जाओ !!!!!!!सारे मराठे चुप होकर निकल गए ,,,एक हाथी के पीछे जाधव और भोसले वीर एक दुसरे के खून के प्यासे होकर शत्रु बन गए !!!!!!!!---क्षण भर में रिश्ते तार तार हो गए !!!!!
जीजा बाई अत्यंत दुखी हो गयी !!!एक ही झटके में सगा भाई और देवर दोनों मारे गए ,,,किसके लिए रोयें ???,किसको कोसे ???स्वराज्य की क्रान्ति का सपना जन्म से पहले ही मर गया !!!!!मराठे यूँ ही स्वाभिमान शून्य होकर ,,आपस में वैर ठान कर मलेच्छो के राज्य को मजबूत करते थे !!!!जीजा बाई माता भवानी के मंदिर में जाकर फूट फूट कर रोने लगी !!! हे माँ क्या कभी ये गुलामी के अँधेरे चंतेंगे ???क्या कभी कोई ये कुत्तों की तरह लड़ना छोड़ कर स्वाराज्य स्थापना के विषय में सोचेगा ????कब ये हिन्दू कीड़े मकोड़े जैसी जिन्दगी से उबरेंगे ??????हे माँ तू मराठो में स्वाभिमान जगा !!! हे मा तू उन्हें ये मलेच्छ राज्य नष्ट करने की प्रेरणा दे !!!!! सब वैर के बाद भी जेजाबाई और शहाजी के मध्य प्रेम अमिट था !!!
-बलराज जी (गौसेवक )
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