Monday, May 28, 2012



                     श्री विनायक दामोदर सावरकर 


स्वातंत्र्यवीर सावरकर का सवतंत्र भारत में क्या स्थान है ? न तो उन्हें भारत रत्न दिया गया , न संसद के केंद्रीय कक्ष में उनका चित्र लगाया गया, न संसद के अंदर या बहार उनकी मूर्ति स्थापित की गयी, न उन पर अभी तक कोई बढ़िया फिल्म बने गयी, न उनकी जन्म-शताब्दी मनाई गयी और न ही उनकी जन्म-तिथि और पुण्य-तिथि पर उनको याद किया जाता है जबकि वो इसके सबसे अच्छे उमीदवार थे कम से कम कुछ भ्रष्ट, ढोंगी, और विलासी नेताओ से तो अच्छे तो थे ही पर ये हमारे देश का एक तरह से दुर्भाग्य ही है की माँ भारती के सच्चे पुत्र को आज विदेशी कथित भारतीय सरकार श्रधांजली भी नहीं देती | आइये हम जानते है अपने वीर सावरकर के बारे में कुछ

श्री विनायक दामोदर सावरकर वर्तमान काल में महान क्रान्तिकारियो में से एक थे | उन्होंने अपना सारा जीवन भारत माता की सेवा में समर्पित कर दिया | वह महान स्वतंत्रता सेनानी थे | उनका जन्म 28 मई, 1883 को जिला नासिक के भगुर नमक ग्राम में हुआ | वह शिवाजी, राणा प्रताप और सदाशिव राव भाऊ की जीवनियो से अत्यंत प्रभावित हुए| उन्होंने 1901में मेट्रिक की परीक्षा उतीर्ण की | उसी वर्ष उनका विवाह हुआ |फिर उन्होंने पूना के फर्गुसन कालेज में प्रवेश लिया | वे वह गीतों की रचना की, जिससे युवाओ को भारत माता के लिए सर्वस्व अर्पण करने की प्रेरणा मिली | अंग्रेजी सरकार ने उनकी पुस्तको पर प्रतिबन्ध लगा दिया |
1905 में अंग्रेजी शासन ने बंगाल का विभाजन कर दिया | सारे देश में क्रांति की ज्वाला भड़क उठी | युवा सावरकर ने bhi इसमें भाग लिया | उन्होंने पूना में विदेशी कपड़ो की होली जलाई | उन्हें कालेज से निकल दिया गया | उन्होंने भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु एक गुप्त संगठन 'अभिनव भारत' की स्थापना की | उन्होंने बम्बई विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा उतीर्ण की | अगले वर्ष वे इंग्लैंड में विधिशास्त्र का अध्ययन करने गए | भारत की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने वहा आन्दोलन की | वह के भारतीय छात्रो ने इसमें भाग लिया | वे वह बमों का निर्माण करके भारत में पहुचाते |
1
जुलाई 1909 को एक पंजाबी युवक मदन लाल ढींगरा ने कर्जन वेली का वध किया और उसी वर्ष वीर सावरकर के एक साथी ने जैक्सन का नासिक में वध किया | अंग्रेजी सरकार का विश्वास था की उनका वध सावरकर की प्रेरणा से हुआ | इसीलिए उन्हें इंग्लैंड में गिरफ्तार कर लिया गया | उनके बड़े भाई श्री गणेश सावरकर को जैक्सन की हत्या का दोषी करार दिया गया और उन्हें बीस वर्ष की सजा सुनाई गयी | सावरकर ने विधि की परीक्षा तो उतीर्ण की पर उन्हें अंग्रेजी सरकार से संघर्ष करने के कारण उपाधि प्रदान न की गयी| उन पर मुकदमा चालाने के लिए भारत में भेजने का निर्णय लिया गया | एक समुद्री जहाज भारत की ओर रवाना हुआ | रस्ते में ही वीर सावरकर गहरे समुद्र में चुपचाप कूद गए और तैर कर फ़्रांस के तट पर पहुच गए | फ़्रांसिसी सरकार ने उन्हें अंग्रेजी सरकार के हवाले कर दिया | भारत में उन्हें अनेक घटनाओ में दोषी करार कर दिया गया | 24 दिसम्बर, 1910 को उन्हें 50 वर्ष की सजा सुनाई गयी | उन्हें अंडमान द्वीप में "कालापानी" की सजा हुयी | अंडमान में उनसे क्रूर व्यव्हार किया गया| जिससे की उनका स्वस्थ्य बिगड़ गया और 1920 में तो ऐसी स्थिति थी की उनकी जीर्ण-अवस्था के कारण उन्हें रिहा करने की मांग की| उसके पश्चात उन्हें अंडमान से रिहा कर भारत के जेल में बंदी किया गया | २७ साल की कठोर जेल यात्रा के पश्चात उन्हें 1937 में रिहा किया गया |
वीर सावरकर से कई बार कांग्रेस में शामिल होने का आग्रह किया गया परन्तु उन्होंने स्वीकार नहीं किया क्यूंकि वो हिंदुत्व के लिए कार्य करना चाहते थे | वह हिन्दू महासभा में शामिल हुए और सात वर्ष तक इसके अध्यक्ष भी रहे | उनहोंने भारत के स्वतंत्रता के लिए भी संघर्ष जारी रखा | इन सात वर्षो में कठोर परिश्रम के कारण उनका स्वस्थ्य बिगड़ गया | अत: चिकित्सको की सलाह पर वह सक्रिय गतिविधिओ से दूर रहे |
जब वह रोगग्रस्त अवस्था में थे, तो भारत स्वतंत्र हुआ| परन्तु देश का भारत और पाकिस्तान के रूप में विभाजन हुआ | इससे वीर सावरकर बहुत दुखी हुए, परन्तु उन्हें संतोष हुआ की अंत में भारत सवतन्त्र हुआ |
26,
फरवरी 1966 को अपनी लोक्लिला पूरी करने के पश्चात् वह सदा के लिए हमारे से बिछुड़ कर परमगति को प्राप्त हुए 

| भारतीयों ने अपना एक महँ देशभक्त व् क्रन्तिकारी खो दिया |

Saturday, May 5, 2012

अजीब देश है हमारा भी.....


अजीब देश है हमारा भी.....

धर्मनिरपेक्षता: यूँ तो इस शब्द का अर्थ है की हमारे देश में सभी धर्म एक साथ एक अधिकार के साथ रह सकते है लेकिन हमारे देश होता है बिलकुल इसके उल्टा आज धर्म निरपेक्षता का दुरूपयोग खुलेआम कुछ लोगो और सत्ता में बैठे कुछ  दुराचारियो द्वारा किया जा रहा है और मजे की बात तो ये है की देश का बहुसंख्यक  वर्ग  हिन्दू इस मामले पर आँख मुड़े हुए है उसे जरा सा भी इस बात का अहसास नहीं है की अगर इस दुरूपयोग को न रोका गया तो आने वाले दिनों में हिन्दुओ की  दशा तरस खाने वाली हो जाएगी, धर्मनिरपेक्ष होना अच्छी बात है लेकिन धर्म के प्रति उदासीन होना गलत बात है. मेरे दिमाग में रह रह कर के प्राचीन यूनान के स्पार्टा साम्राज्य के समाज व्यवस्था की याद आ जाती है जहा पर कुछ हजार स्पार्टन लाखो की संख्या में स्पार्टा में बसे  "हैलोट" पर राज्य करते थे. हजारो में बसे स्पार्टन कानून और नियम बनाते और हैलोट बेचारे बस काम और मेहनत करके खा पीके सो जाते थे और उनका यही दिनचर्या बन गया था नतीजा ये हुआ की वो गुलामो की जिंदगी बिताने लगे और उनका जीवन दोयम दर्जे के गुलामो की तरह हो गयी थी जिन्हें अपने अधिकार और अपने देश के बारे में कुछ बोलने का अधिकार ही नहीं था उनका और वो एक आम नागरिक से धीरे धीरे गुलाम बन गए जबकि वो संख्या में राज्य करने वाले स्पार्टन से कई गुना अधिक थे. ये एक आदर्श उदाहरण हो सकता है उनके लिए जो अपने अधिकारों का उपयोग नहीं करते कुछ ऐसी ही समस्या हमारे हिन्दू भाइयो के साथ है उनके लिए अधिकारों की बात करना अपना समय बर्बाद करना या बकवास करने जैसा है और बोलने पर बोलते है की हमारे बाप का क्या जायेगा सच भी है हमारे बाप का कुछ नहीं जायेगा क्यूंकि वो तो अपनी जिंदगी आजाद देश में जी रहे है लेकिन क्या हम और क्या हमारी आने वाली पीढ़ी आजाद रहेगी. अगर आपको  लग  रहा है की मैं बस ऐसे ही बकवास कर रहा हु तो आप खुद ही देख लीजिये की आने वाले दिनों में हमारे साथ क्या क्या हो सकता है |

1) अभी कुछ दिन ही पहले हैदराबाद के अपने को  धर्मनिरपेक्ष ( सेकुलर) कहने वाले MIM पार्टी के MLA  अकबरुद्दीन ओवैसी है की उन्होंने  ये मांग की थी  कि हैदराबाद के भाग्यलक्ष्मी मंदिर में घंटी नहीं बजनी चाहिए क्यूंकि घंटी कि आवाज मुस्लिमो के लिए हराम माना जाता है और हैरानी कि बात  ये है कि हमारी केंद्र सरकार से आग्रह करने पर हमारी महान सेकुलर सरकार ने घंटी बजने पर रोक भी लगा दी थी

2) इन्ही अकबरुद्दीन ओवैसी ने यह भी मांग कि थी कि रामनवमी के दिन कोई जुलुस न निकली जाये इससे माहौल बिगड़ने का डर है

3) इन मुस्लिमो कि हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि उन्होंने रामनवमी के जुलुस का बदला लेने  के लिए एक बेजुबान और प्रकृति में ममता कि साक्षात् मूर्ति गाय को काट के एक पास के मंदिर में फेक दिया और झड़प शुरू हो गया और मुस्लिम पहले से ही तैयार बैठे थे और हम कुछ नहीं कर पाए

4) पाकिस्तान से आये हिन्दुओ को सरकार भारत में रखना नहीं चाहती और बंगलादेश के करीब 3 करोड़ मुस्लिम और हाल ही में बर्मा से भाग कर आये करीब 500 शरणार्थियो  को जगह और भोजन दोनों दिया जा रहा है

5) अगर कोई हिन्दू किसी और धर्म के खिलाफ उपर के किसी भी कार्य को अंजाम दे देता है तो लगता है वो एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है और सतासीन के एक नेता जो कि राष्ट्रीय कुत्ते का का ख़िताब पा चुके है लगते है भौकने लेकिन उपर के किसी भी मुद्दे पर बेचारे ने कही अँधेरे में जाके मुह काला  करना ही उचित समझा

अब कोई बताएगा कि अपनी अपनी श्रद्धा से पूजा करना और जुलुस निकलना भी मुस्लिम बहुल इलाको में गुनाह हो गया है या फिर मुस्लिम इन इलाको को पाकिस्तान और सउदी अरब मान बैठे है जहा दुसरे धर्म कि उपासना करना एक गुनाह ही माना जाता है अगर ये दोनों में से कोई भी है तो ये मुस्लिमो के लिए बहुत ही नुकसान करने वाली बात है वो यहुदियो वाली काम न करे जिसके चलते पुरे यूरोपे से यहुदियो का सफाया हो गया और आज भी वो हाथ पर गिन ने लायक ही बचे है, बार बार हिन्दू मुस्लिम भाई भाई बोलने वाले सेकुलर नस्ल के संकर समाज से मैं बस इतना पूछना चाहता हु कि क्या वो इन सब घटनाओ के बाद भी ऐसा बोलने का हौसला रखते है अगर हा तो उन सभी सेकुलर नपुन्सको को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए कम से कम उनकी कायरपन तो किसी को पता नहीं चलेगी वैसे भी गलती हिन्दुओ कि है उनकी मानसिकता ही गुलामो वाली हो गयी है बस कमाओ और खाओ भाई राजनीती और अपने अधिकार कि बात करना हमारे बस कि बात नहीं है, और तो और उस सत्तासीन पार्टी को तो हमें सीधा भारत छोडो का ज्ञापन देना चाहिए उन्हें भारत में ही रहने का कोई अधिकार नहीं है, उपर के सभी उदहारण से हम क्या समझे कि हमारी सरकार हमसे ज्यादा महत्व मुस्लिमो को देती है या फिर हमें अपने अधिकारों के प्रति सचेत ही नहीं है. अभी भी बहुत समय है हम चेत गए तो अच्छा है नहीं तो फिर वही होगा जो अभी से हमें कही कही मुस्लिम बहुल इलाको में देखने को मिल जाता है.