Wednesday, August 21, 2013

अमेरिकन डॉलर और भारतीय रूपये की असली कहानी

कृपया देश के लिए 7 दिन के लिए आप अपने कार को तभी उपयोग में लाये जब कोई विपति आप पड़े और और सच मानिये डॉलर अपने जगह पर आ जायेगा । जी हा ये सच है डॉलर की कीमत बस पेट्रोल से ही बढ़ता है, इसी को हम व्युत्पन्न व्यापार कहते है मतलब की हम दूसरी कोई वस्तु देके हम कोई और वस्तु ले । अमेरिका ये जानता है की पेट्रोल उतना ही कीमती है जितना की सोना इसी लिए उसने मध्य पूर्व के सभी तेल उत्पादक देशो से करार कर लिए की वो पेट्रोल केवल डॉलर में ही बेचेंगे और जो भी देश इस करार के खिलाफ जाता है उसके साथ क्या होता है कहने की बात नहीं है, चाहे इराक हो, ईरान हो, क्यूबा हो इन सब तेल देश उत्पादक देशो से अमेरिका की हमेशा इसी लिए ठनी रहती है और सद्दाम हुसैन को झूठा आरोप लगा के मारने के पीछे असली वजह ये करार ही था । और यही कारन है की अमेरिका अपने डॉलर पर ये छापता है की डॉलर उधार व्यापर के लिए वैध है(THIS NOTE IS LEGAL TENDER FOR ALL DEBTS, PUBLIC AND PRIVATE), इसका मतलब ये हुआ की अगर आप डॉलर को पसंद नहीं करते हो और उसके बदले सोना की मांग करोगे तो आपको वो सोना नहीं देंगे इसके उलट आप भारतीय रुपया के बदले सोना ले सकते हो(I PROMISE TO PAY THE BEARER THE SUM OF ONE HUNDRED RUPEES), आप देख सकते है की भारतीय नोट पर सीधा लिखा होता है की " I PROMISE TO PAY THE BEARER THE SUM OF ONE HUNDRED RUPEES"  और उसके साथ हमारे रिज़र्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर भी होता है जिसका मतलब है की आप को भारतीय मुद्रा नहीं पसंद तो फिर आप रिज़र्व बैंक से उतने का सोना ले सकते है और रिज़र्व बैंक को ये देना होगा ( असल में लेन-देन में कुछ मामूली अंतर आ सकता है ये उदाहरण आपको अच्छे से समझाने के लिए है)|
अब आप एक उदहारण ले, भारतीय पेट्रोलियम मंत्री पेट्रोल खरीदने मध्य पूर्व के देशो में जाते है और उस देश के पेट्रोल मंत्रालय कहता है की एक लिटर पेट्रोल एक डॉलर में आएगा, अब हमारे मंत्री साहब के पास रुपया है  और हमें भुगतान करना है डॉलर में, तो अब वो क्या करेंगे वो सीधा अमेरिका से बोलेंगे की हमें डॉलर दीजिये और अमेरिकन फ़ेडरल रिज़र्व श्वेत पत्र पर डॉलर को प्रिंट करेगा और हमारे मंत्री महोदय को दे देगा और हमें मिल गया डॉलर और हम इसे उस देश को दे देते है और पेट्रोल खरीदते है
लेकिन यहाँ एक धोखा हुआ वो कैसे देखिये अगर आप का दिमाग बदल गया और आप उसे अमेरिका को लौटाने जायेंगे की हमें अब जरुरत नहीं है डॉलर के बदले सोना आपको देने की तो उनका सीधा जवाब होता है की "हमने आपको कुछ लौटाने को बोला था क्या?" क्या आपने डॉलर को जांचा नहीं ? हमने सीधा सीधा लिखा है की डॉलर एक कर्ज है, उधार है, और इसी लिए अमेरिका को सोना नहीं चाहिए अपना डॉलर प्रिंट करने के लिए वो श्वेत पत्र लेंगे और उस पर डॉलर छापेंगे जैसा वो करते आये है
लेकिन मध्य पूर्व देशो को अमेरिका केवल डॉलर के बदले पेट्रोल बेचने के बदले में क्या देता है?
मध्य पूर्व देश के कई शाह अमेरिका को किराया देते है ताकि अमेरिका उनके और उनके उतराधिकारियो की  सुरक्षा कर सके, वैसे ही वो अभी भी अमेरिका का कर्ज चूका रहे है जो अमेरिका ने उनके यहाँ रोड, भवन और देश निर्माण में निवेश किया है। यही है डॉलर इसी लिए कुछ लोग कहते है की एक न एक दिन डॉलर भी धराशायी जरुर होगा। वर्तमान में भारत के साथ समस्या उन अमेरिकन डॉलर्स को खरीदना है, तो एक प्रकार से अमेरिका का श्वेत पत्र भारत के सोने के बराबर है अगर हम पेट्रोल और कार का उपभोग सिमित कर दे डॉलर अपने आप नीचे आ जायेगा|
सभी लोग रुपये और डॉलर की सच्चाई सबको  इसे शेयर जरुर करे
यहाँ पर पेट्रोल के अलावा हम अपने  रूपया के लिए और भी एक छोटी सी मदद कर सकते है  |
कृपया यहा कुछ देर समय दे अपने देश की खातिर
यहाँ एक छोटा सा उदहारण है
अगस्त 2008 में 1 US $=39.40
अगस्त 2013 में 1 $=64.45
क्या आप सोचते है की अमेरिकी अर्थव्यवस्था का विकास हुआ है नही लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था का पतन जरुर हुआ है , हमारी अर्थव्यवस्था हमारे अपने हाथों में  है, और  हमारी अर्थव्यवस्था अभी नाजुक दौर में है, अपना देश भी एशिया के और देशों के जैसे आर्थिक संकट से जूझ रही है, कई भारतीय उधोग बंद हो गए। हम एक गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे है और यदि हमने सही कदम नहीं उठाया तो बहुत जल्द हम एक गहरे संकट में होंगे । एक अनुमान के मुताबिक करीब 30,000करोड़ विदेशी मुद्रा हम  कास्मेटिक, स्नैक्स, चाय, और ठंढे पेय पदार्थो पर उड़ा देते है जो की यहाँ पर बनती है और यही उनका हम उपभोग भी करते है लेकिन उनका सारा फायदा अवैध रूप से  बाहर चला जाता है, क्या आपको पता है की एक ठंढा पेय की बोतल मात्र 70/80 पैसो में बनकर तैयार होती है लेकिन उसे 20/25 रूपये में बेचीं जाती है और मुनाफे के रूप में एक मोटी रकम हम अपने देश से बाहर भेजते है, यह  हमारे अर्थव्यवस्था में एक बड़े छेद की तरह है हैं, हम बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के खिलाफ नही है लेकिन हमे अपना सही और ग़लत देखना चाहिए हम सभी से आग्रह करते है कि कम से कम दो साल तक बस भारतीय और घरेलू निर्मित सामान ही उपयोग में लायेंगे, नही तो जैसे जैसे पेट्रोल महंगा होगा और हम ऐसे ही विदेशी वस्तुओं का उपभोग जारी रखा तो आने वाले समय में  रूपये की कीमत में और गिरावट होगी और अंत में हमें किसी भी वस्तु को खरीदने के लिए और भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा ।
आप इसके लिए क्या कर सकते है?
केवल वही वस्तु ख़रीदे जो पूर्णत: भारतीय हो, हम में से हर एक को इस जागरूकता का नेता होना चाहिए। यह एक मात्र रास्ता है अपने देश को आर्थिक संकट से बचाने का, आपको अपने जीवनशैली को बदलने की जरुरत नहीं है बस अपने उपयोग की वस्तुओ को बदल दे | रोजमर्रा की चीजे जैसे ठंढे पेय, नहाने का साबुन, टूथपेस्ट, ब्रश, शेविंग क्रीम, ब्लेड, पाउडर, दूध का पावडर, शैम्पू, और खाद्य सामग्री इत्यादि, आपको भारतीय उत्पाद खरीदना चाहिए और ये निश्चित करना चाहिए कि भारतीय मुद्रा देश के बाहर नही जायेगी| एक एक भारतीय उत्पाद आप जो खरीदते है उससे एक बड़ा परिवर्तन होगा, ये भारत को बचाएगा, ये भारतीय उधोग को बचाएगा तो चलिए आइये आज से ही हम एक परिवर्तन की शुरुवात करते है| मैं या आप बहुराष्ट्रीय कम्पनियो के खिलाफ नहीं है हम तो बस अपना और अपने देश का हित सोच रहे है, हर एक दिन हम एक संघर्ष करेंगे एक सच्चे आजादी के लिए, उस आजादी के लिए जिसके लिए हमने बहुत सी कुर्बानिया दी है, हमारे वीर जवान बहुत बड़ी शहादत दी ताकि हम शांति और अमन से रह सके लेकिन ये वक्त हमारे लिए डरावना है, एक सम्प्रभु राष्ट्र के लिए खतरा है, बहुराष्ट्रीय कम्पनियो के लिए ये वैश्वीकरण है लेकिन हमारे और आपके लिए ये एक उपनिवेश है आर्थिक उपनिवेश।  उपनिवेशी भारत को छोड़ चुके है लेकिन इस बार वो पुरी तैयारी के साथ पुरानी गलातियों को सुधार के आयें है और  हमें पहले से ज्यादा मजबूर कर देंगे। रुस, दक्षिण कोरिआ, मेक्सिको और भी बहुत लंबी सूची है, हमे जरुरत है उनके अनुभव और अपने इतिहास को ध्यान में रखते कुछ सीख लेने की, आइये एक सच्चे भारतीय होने का फर्ज अदा करे | यह स्पष्ट है की उपर दी हुयी वस्तुओ की सुची को हम अपनी जिंदगी से हटा नहीं सकते लेकिन बदल जरुर सकते है ।

5 comments:

  1. बढ़िया विश्लेषण-

    गुर्राता डालर खड़ा, लड़ा ठोकता ताल |
    रुपिया डूबा ताल में, पाए कौन निकाल |

    पाए कौन निकाल, बहे दल-दल में नारा |
    मगरमच्छ सरकार, अनैतिक बहती धारा |

    घटते यहाँ गरीब, देखिये फिर भी तुर्रा |
    पानी में दे ठेल, भैंसिया फिर तू गुर्रा ||

    ReplyDelete
  2. बहुत बढ़िया लिखा है आपने लेकिन क्या करें किसी को कहने का कोई इफ़ेक्ट नही पड़ता उल्टा वो ही हमे दो तीन बात सुना देगा


    इन्टरनेट पर करें बड़ी फाइल शेयर (5GB तक )

    ReplyDelete
  3. धन्यवाद मोहन जी और सन्नी भाई
    और हमें अपना काम करना चाहिए भाई कहने वाले तो कहते रहेंगे कमी नहीं है आज हमारे देश में ही देशद्रोहियो की

    ReplyDelete