Saturday, May 2, 2015

इस्लाम पूर्व तुर्क और मंगोल समूहों द्वारा पूज्य गणेश प्रतिमा.

इस्लाम पूर्व तुर्क और मंगोल समूहों द्वारा पूज्य गणेश प्रतिमा.......saffron
विशेष सुचना: वाचको से विनती है की लेख माला से जुड़े चित्र अवश्य खोल के देखे! मैं अपने मित्र विक्रमादित्य दलवी जी का बहुत ही आभार प्रकट करना चाहता हु जिन्होंने हमारे सामने ये अभूतपूर्व जानकारी सामने रखी, | ये तो केवल सनातन धर्म है जो लेता भी है और देता भी है, , ये जानकारी मैं आप सभी के सामने रख रहा हु,



अधिकांश भारत वासीयो का मानना है की मुघलो ने भारत पर १००० वर्ष राज किया! ये धारणा सर्वता असत्य है, जो की नेहरु-गाँधी शासन काल में बड़ी चतुराई से फैलाई गई!  ये सत्य क्यों नहीं? ऐसा आप प्रश्न करेंगे! ये इसलिए क्यों की १००० वर्ष पूर्व मुघल मुस्लिम नही थे! इतना ही नही किन्तु, आज से १४०० वर्ष पहले सारे पृथ्वी पर मुस्लिम नामक कोई प्राणी ही नहीं था! इस्लाम की स्थापन अरब भूमी में हुई!
आज हम इतिहास के उन पन्नों को पलट कर ऐसी ही एक अमुस्लिम (Non Muslim) राष्ट्र का इतिहास देखेंगे जो आज पूर्णतहा लुप्त हो चूका है! ……………..
इस रोमहर्षक इतिहास का पन्ना हम आज खोल रहे है! इस लिए वाचको से विनती है की इसे ध्यान से पढे!
तुर्क और मंगोल (मुघल) लोगों का इस्लाम्पुर्व इतिहास!
खान यह नाम अमुस्लिम (Non Muslim) है!
आप में से अधिकांश लोगों चौक जाएँगे ये सुनकर की ‘खान’ यह नाम अमुस्लिम (Non Muslim) है! ‘खान’ यह तुर्क-मंगोल नाम इस्लाम पूर्व से ही प्रचलित है! आज भी मंगोलिया (भारत में उसे ‘मुघलिया’ के भ्रष्ट नाम से जानते है) एक बुद्ध धर्म को मानाने वाला राष्ट्र है! यहा पर कोई भी मुस्लिम नही है! आज भी चीन, जापान, कोरिया और मंगोलिया में खान नाम पाया जाता है! उदाहरण जापान के प्रधान मंत्री का ही ले लीजिए, जिनका नाम ‘नाओटो कान’ http://en.wikipedia.org/wiki/Naoto_Kan (जो खान शब्द का जापानी अपभ्रंश है) ये बुद्ध धर्मिय है! चीन का एक मंगोल राजा था जिसका नाम था कुबलाई खान (http://en.wikipedia.org/wiki/Kublai_Khan) जो बुद्ध/वेदिक धर्म का अनुयायी था! कुबलाई खान के एक शिला लेख में ‘ओम नमो भगवते’ इस घोष के अक्षर पाए गए है!
चेंगिज खान – वो वीर था जिसने इस्लाम को लग भग समाप्त कर दिया था! चेंगिज खान और उसकी मंगोल सेना (मुघल सेना) ऐसे अमुस्लिम थे जिन्होंने पहली बार मुस्लिम भूमि में घुस कर खलीफा अल मुस्तासिम बगदाद में घुसकर मारा! इतिहास बताता है की अरब और फारसी मुस्लिमो ने लगातार २५० वर्ष (१०५० से १२५८) मध्य एशिया पर जिहादी आक्रमण करके तुर्क और मंगोल समूहों को छल-बल से मुस्लिम बनाने के लिए उन पर घोर अत्याचार किये (ठीक वैसे ही जैसे मुस्लिम बनाये जाने पर इन मुघल और तुर्को ने भारत और हिन्दुओ पर किये उन्हें मुस्लिम बनाने के लिए)! इस लगातार मुस्लिम के विरोध में मंगोलों ने चेंगिज खान के नितृत्व में एक महा भयंकर प्रति आक्रमण मुस्लिम जगत पर किये! जिस में मंगोल सेना ने ५,०००,०००० मुस्लिमो की कत्तल की! बगदाद की भव्य मस्जिदों को मुघलो ने ध्वस्त कर दिया और कुरान को घोड़े की टाप के नीचे मसल दिया!
मंगोल विजेता चेंगिज खान उर्फ तिमुजिनी की समाधी
ये चेंगिज खान की मूल समाधी है! जो चीन और मंगोलिया के सीमा पर स्थित है! मंगोल और तुर्क उनके इस्लाम पूर्व काल में इंद्र, सूर्य, चंद्र तथा शिव के उपासक थे इस लिए इस समधी पर त्रिशूल हम देस्ख सकते है! इतना ही नहीं मंगोलिया आज भी बुद्ध पंथ को मानता है और वह कोई भी मुस्लिम नही है!
मंगोलिया के दिनों के नाम सारे संस्कृत प्राचुर है जैसे अंगारक अर्थात मंगलवार इत्यादि..
यह गणेश प्रतिमा तुर्क-मंगोल लोक समूहों द्वारा उन्हें बल पूर्वक मुस्लिम बनाये जाने से पहेले पूजी जाती थी!
इस गणेश जी की प्रतिमा को आप मंगोलिया की राजधानी “उलन बतोर” के संग्रहालय में देख सकते है!
इस्लाम पूर्व तुर्क उनके चाँद-तारे के झंडे को लहराते हुए! चाँद-तारा यह तेंग्री का प्रतिक है उसका इस्लाम से कोई संबंध नहीं है!
इस्लाम पूर्व तुर्क –मंगोल ये तेंग्री के उपासक थे! इस लिए उनके ध्वज पर चाँद-तारा अंकित किया था! यह चाँद-तारा वास्तव में तेंग्री का प्रतिक है और इसका इस्लाम से कोई संबंध नही है, किन्तु आज लोग तुर्क और मुघलो को मुस्लिम समझते है और कई मुस्लिम देशो ने अपने लिए चाँद-तारे के झंडे का चयन (चुनाव) किया जैसे की पाकिस्तान!
यह पर ध्यान देने की विशष बात ये है की आप को किसी भी अरब देशो में चाँद-तारे का झंडा कभी नही मिलेगा! चुकी इस्लाम यह अरबो का मजहब है इस से और एक बार यह सिद्ध हो जाता है की चाँद-तारे वाला झंडा अमुस्लिम (Non Mumslim) है!
तुर्क-मंगोल युद्ध देवता के रूप में श्री. गणेश
साभार: उलन बातुन संग्रहालय मंगोलिया
और एक महत्वपूर्ण बात हमे ध्यान में रखनी चाहिए की आज तक किसी भी अरब के नाम में आप को खान नहीं मिलेगा! आप में से जो लोग अरब देशो की यात्रा कर चुके है वो इस सत्य को तुरंत समझ जाएँगे! क्योकि जब कोई इस्लाम को स्वीकारता है तब उसे अपने पूर्वजो का स्वदेशी नाम त्याग कर अरबी नाम धारण करना पड़ता है! अरबी नाम!!! जैसे की महमद, इब्राहीम, अब्दुल्ला, ओमर, उसमान और वो सारे नाम जिसे आप मुस्लिम नाम कहते है, वे वास्तव में सब अरब नाम है!
फिर खान ये नाम मुस्लिमो में कैसे आया?
यह एक रोचक (Interesting) प्रश्न है! इस्लाम में आने पर व्यक्ति को अरब नाम धारण करना पड़ता है, यह इस्लाम का आदेश है! किन्तु १ दिन में २ लाख मुघलो को मुस्लिम बनाया गया! इतनी बड़ी सख्या के चलते उनके नाम पूर्ण रूप से अरबी न बन सके!
ये ठीक वैसा ही है जैसे……..
जाकिर नाईक (ये मुंबई में इस्लाम का प्रचारक है)
महमद चौधरी (पाकिस्तान का सांसद)
रशीद राठौर (लश्कर ए तोईबा के कश्मीर क्षेत्र का प्रमुख)
मेजर राणा आफताब आलम चौहान (पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था ISI का उच्च पदस्थ अधिकारी)
इस्लाम पूर्व तुर्क, ये मध्य एशिया पर अपनी अलग अलग टोलियो में रह कर राज करते थे! वैदिक काल में मध्य आशिय के पामीर पर्वत का उलेख मेरु पर्वत के नाम से किया है! महाभारत के वीर कुरु वंश की सीमा जहा तक थी, वह भी मध्य आशिय के तुर्कमेनिस्तान का प्रदेश है! जिसे महाभारतीय काल में “उत्तर कुरु” कहा जाता था! उस मध्य एशिया में इस्लाम का प्रवेश होने से पहले वैदिक संस्कृती थी! उनके नामो में संस्कृत शब्द “स्थान” इसका जीता जगता उदहारण है! जैसे की तुर्कमेनिस्तान, उझबेकिस्तान, ताजिकिस्तान इत्यादि! इन तुर्को में अलग अलग टोलिया थी! हुण, बुलगर, उघिर, क्वरलाँक और सेल्जुक ये कुछ तुर्को की बड़ी टोलिया थी! ये सब तुर्क टोलिया रंग, वंश में भिन्न थी किन्तु तुर्की भाषा के समान धागे में एक राष्ट्र के भाती बन्धी थी! तुर्क और मंगोल पहचाने जाते थे वो उनकी छोटी आँखों से जिन्हें मंगोल नेत्र भी कहते है! जैसे चीनी और जापानीयो समान छोटी आंखे और चपटी नाक! दिखने में लाल और गौर वर्ण की त्वचा वाले मंगोल और तुर्क अन्य जातियों से भिन्न थे! हिमालय के पार रहने वाले तुर्क और मंगोल ठण्ड से रक्षा करने के लिए चरणों में भालू की खाल के जूते पहनते थे!
इस्लाम पूर्व तुर्क और मंगोल ये वैदिक सभ्यता और बुद्ध भगवन के उपासक थे! इसके अतिरिक्त वे आकाश और ग्रह, नक्षत्रो के भी उपासक थे! तुर्क और मंगोलों में एक शक्तिशाली देवता थी, जो धरनी माँ और आकाश की स्वामी थी! इस देवता का उलेख वे तेंग्री के नाम से करते थे! एक आधा चंद्र और चांदनी ये तेंग्री का प्रतिक माना जाता था! यहा ध्यान देने की बात है की धरती माता की वैदिक सकल्पना इस बात का जीता जगता प्रमाण है की मध्य एशिया में वैदिक संस्कृती थी!
चाँद तारे का झंडा इस्लाम पूर्व तुर्को-मंगोलों का ध्वज है, उसका इस्लाम से कोई संबंध नही!
तुर्क-मंगोल यह तेंग्री के उपासक थे! तेंग्री का चिन्ह है चाँद-तारा! तेंग्री (तन + ग्रह) का अर्थ आकाश पिता (तेंग्री/तेंगर इस्तेग) और धरणी माता (इझे/गझर ऐझ! इतिहास बताता है की मंगोल विजेता चेंगिज खान अपने आदेशपत्र पर सबसे पहले तेग्री की शपथ ले कर विषय आरंभ करता था!
इस ग्रह-तारो से संबंधित तेंग्री की उपासना के कारण तुर्क-मंगोलों के झंडे में चाँद-तारे का चिन्ह था! आज बहुत से मुस्लिम राष्ट्रों ने अपने झंडे में चाँद-तारे को डाला है! जैसे की पाकिस्तान! पर हमें ध्यान देना चाहिए की चाँद-तारा तेंग्री का प्रतिक है और उसका इस्लाम से कोई लेना देना नही है! आज भी इस्लाम के मूलभुत अरब जगत में किसी भी अरब देश के झण्डे में चाँद-तारा नहीं है! आप स्वय अरब ध्वजो के इस चित्र को ऊपर देख सकते है! इस से ये स्पष्ट हो जाता है की चाँद-तारे का झंडा अमुस्लिम ‘तेंग्री’ का प्रतिक है इस्लाम का नही! सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है की आज भी तुर्की भाषा में इश्वर के लिए ‘तेंग्री’ शब्द का उपयोग किया जाता है!
जब हम इतिहास की गहराई में झाक के देखते है, तो तुर्क हो या मुघल इन में से कोई भी मुस्लिम नहीं था, किन्तु ये स्वय इस्लाम के कट्टर शत्रु थे! जिन्होंने जिहाद से अपने आप को बचाने के लिए अरब मुस्लिमो के साथ रक्त रंजित युद्ध लढे!
मंगोल विजेता चेंगिज खान की समाधी का प्रवेश द्वार
यह प्रवेशद्वार चेंगिज खान की समाधी का है! जो आज के एजीन होरो नामक चीनी नगर में स्थित है! http://en.wikipedia.org/wiki/Ejen_Khoruu_Banner हमें ध्यान देना चाहिए की मंगोल और तुर्क छल-बल पूर्वक मुस्लिम बनाये जानेसे पहले वैदिक सभ्यता को मानने वाले थे इसका सबसे बड़ा प्रमाण इस प्रवेशद्वार पर स्थित त्रिशूल से मिलता है!
चीनी और मंगोल उर्फ मुघलो की उपास्य देवत के रूप दुर्गा माता
तुर्क और मुघल छल बल से मुस्लिम बनाये जाने से पहले वैदिक पारंपर को मानने वाले थे! उनके द्वारा उपासना किये जाने वाली इस दुर्गा माता की प्रतिकृति को आप उलन बतुर के संग्रहालय में देख सकते है!
दुर्गा माता की एसी प्रतिकृति को आज भी चीन, थाईलैंड, इंडोनेशिया, जापान और मंगोलिया के अनेक भागो में पूजा जाता है!
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