Tuesday, January 13, 2015

भारत का उन्नत समाज और विश्व भाग -II

आज भले ही विज्ञान कितना भी तरक्की कर ले लेकिन आज के आधुनिक विज्ञान भी वैदिक विज्ञान के आगे बौना ही नजर आता है लेकिन मानने वाले आज भी मानते है की वेदों में वर्णित विज्ञान केवल काल्पनिक है, आज से  कुछ शताब्दी पहले पृथ्वी के चक्कर लगाने वाले मार्ग को सही बताने वाले पश्चिमी विचारको को पश्चिमी समाज जला कर मार डालता था लेकिन वैदिक काल से ही हम सूर्य भगवान के उतारायण और दक्षिणायन गमन को बताने वाला वैदिक विज्ञान आज के लिए मिथक है बस जब की हम सदियों से सूर्य के मकर रेखा में आने का पर्व मकर सक्रांति मानते आये है और आधुनिक विज्ञान भी आज ये मानता है लेकिन कुछ जाहिल लोग अभी भी वैदिक विज्ञान पर ऊँगली उठाते हुए नजर आते है जो की पश्चिम के रटे रटाये विज्ञान को पढ़ के खुद को एक वैज्ञानिक से खुद को कम नहीं मानते l

आज से 100 साल पहले भी अगर को बोलता की अमेरिका में होने वाले कुछ घटना को हम भारत में बैठ के देख सकते है तो लोग पागल घोषित कर देते और आज वो सच्चाई है जो विज्ञान दुनिया में आज लोकप्रिय है जिससे हम कही भी होने वाले खेल को अपने घर बैठे आँखों से देखते है लेकिन महाभारत के युद्ध में संजय के द्वारा आँखों देखा हाल महाराज धृतराष्ट्र को सुनाना उनको मिथक लगता है क्या ये वैदिक समय के उन्नत विज्ञान का चमत्कार नहीं है जो की हमारे धार्मिक ग्रंथो में भी वर्णित हैl उस समय के अमोघ अस्त्र और ब्रम्हास्त्र जिस से की पुरे श्रृष्टि की विनाश होने की बात कही गयी है वो ही आज का परमाणु और अणु बम है लेकिन फिर भी दिमाग से खाली लोग अभी भी उन पर सवालिया निशान ही लगाते है की वो सब काल्पनिक बाते है, कल्पना भी कभी भी असामान्य नहीं होती कल्पना वही करता है जो सामने देखता है लेकिन पश्चिम और लाल बंदरो के पढाये गए शैक्षिक दस्तावेजो से हम इतने मुर्ख हो गए है की हमें सही और गलत में अंतर पता नहीं चलता l
विमानों का वर्णन वैदिक काल से ही उल्लेखित है और अमेरिका भी मानता है की वैदिक काल के विमान कला आज के विमान विज्ञान से काफी आगे है जो मन के गति से उड़ान भरते थे लेकिन आज विमान को उड़ते देख के भी लोग ये नहीं समझ पते की क्यों नहीं वैदिक कल के भी लोग विज्ञान कला से भली भांति परिचित थे l विमान कला ही क्यों अन्तरिक्ष विज्ञान से लेके गणित के कठिन से कठिन प्रमेय भी वेदों में उल्लेखित है और तो और न्यूटन के गुरुत्वकर्षण नियम से बहुत पहले ही भारत के ऋषि महर्षियो ने इस विज्ञान को भली भाति समझते थे और तो और विश्व में पहली सर्जरी से लेकर विकसित चिकित्सा प्रणाली भारत में प्रचलित थी लेकिन आज कल इसी बात पर बहस हो रही है की वो विज्ञान था या बस मिथक ? जो अभी भी इस बात पर संदेह कर रहा हो उसे अपने मानसिक इलाज के लिए तैयार रहना चाहिए क्यूंकि वो सभी तथ्य जो की वेदों में वर्णित है वो आज के आधुनिक विज्ञान से कही आगे है चाहे हो सूर्य से पृथ्वी की दुरी हो या फिर प्रकाश की गति सब वेदों में वर्णित है और आज भी वो सत्य है उन्हें आधुनिक विज्ञान झुठला नहीं सकता और  नहीं वेदों में कही बाइबिल और कुरान की तरह पृथ्वी को चपटा या सपाट नहीं बताया गया है बल्कि हम कह सकते है की आधुनिक विज्ञान भी वेदों की कही बातो को ही सही साबित करते है l लेकिन फिर भी अंग्रेजो के गुलाम उनके नाजायज औलाद भी भी हल्ला करते है की वो वैदिक विज्ञान तथ्यपूर्ण नहीं थे तो फिर अफ़सोस ही होता है इन पढ़े लिखे मूर्खो पर l
सूर्य नारायण के मकर रेखा में प्रवेश करने का पर्व मकर सक्रांति की सबको हार्दिक शुभकामनाये !


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