Monday, September 21, 2015

भारत का गुमनाम स्वर्णिम इतिहास

भारत का इतिहास तो वैसे प्राचीन काल से ही समृद्ध रहा है, पश्चिम के भी बहुत बड़े विद्वान

मानते है की सभ्यता पश्चिम में भारत से हो कर ही आई है. भारत के सभ्यता को जिस मौर्य वंश ने

पश्चिम से परिचय कराया था उसी मौर्य वंश के उत्तर काल में समाज में फैली धार्मिक आडम्बर के

चलते मौर्य वंश के नाश के साथ साथ भारत की प्राचीन संस्कृति का भी क्षरण होने लगा 500 सालो

के बाद पाटलिपुत्र की धरती से एक वंश का उदय हुआ जिसने न केवल मौर्य वंश द्वारा स्थापित वो

गौरव हासिल किया बल्कि भारतीय संस्कृति को अफ्रीका से लेकर पुरे पूर्व एशिया में फैला दिया, चाहे

वो अफ्रीका में पुराना शिवलिंग मिलने की खबर हो या इंडोनेशिया और मलेशिया का सांस्कृतिक

इतिहास ये सब गुप्त साम्राज्य की ही देन है. और आज भी भारत के इतिहास का स्वर्ण युग गुप्त

साम्राज्य को ही कहा जाता है.


हमारे भारतवर्ष में वैसे भी महान गुप्त साम्राज्य को मात्र २-३ पेज में पढ़ा दिया जाता है और आगे

उसी किताब में केवल अकबर पर ३ पेज पढाये जाते है स्कुलो में, अब भला मैं भारत के इतिहासकारों

से पूछना चाहूँगा की क्या गुप्त साम्राज्य के सामने मुगल कहा से खड़ा हो जाता है ? अगर गुप्त

साम्राज्य और मुग़ल साम्राज्य में तुलना की जाये तो चाहे वो क्षेत्रफल की बात हो, सैन्य शक्ति की

बात करे या चाहे सामाजिक विकास की बात करे तो मुग़ल साम्राज्य महान गुप्त साम्राज्य के सामने

बौनी ही नजर आती है फिर क्यों अपने ही देश के स्वर्णिम इतिहास को अपने देश से छुपा के रखा

जाता है, कौन लोग ऐसी शिक्षण नीतियाँ बनाते है और कौन इतिहासकार ऐसा इतिहास लिख रहा है,

क्या ऐसे लोगो से आप देश का भला की उम्मीद कर सकते है.

भारत के ऐसे इतिहास को छुपाया जा रहा है जो की गर्व करने के लायक है, गुप्त साम्राज्य भारत के

चरमोत्कर्ष का इतिहास रहा है, मशहूर चीनी यात्री ह्वेन-सान्ग इसी काल में भारत आया था और

उसने भारत के बारे में लिखा था की साम्राज्य का राजदरबार रोम और फारस के बादशाहों से भी

भव्य था, समाज में सर्वत्र खुशहाली और सम्पन्नता थी उसी काल में चोरियां न के बराबर होती थी

और लोग अपने घरो में दरवाजा नहीं लगाते थे. और भारत का व्यापार यूरोप से लेकर जावा द्वीप

और पुरे अरब से था चाहे व्यापर हो कला हो या ताकत उस समय गुप्त साम्राज्य के सामने खड़ा

होने की भी कोई सोच नहीं सकता था.



गुप्त साम्राज्य में एक से बढ़कर एक पराक्रमी शासक हुए. जिनमे समुद्रगुप्त जिसे भारत का

नेपोलियन कहा जाता है, चन्द्रगुप्त द्वितीय जो की विक्रमादित्य की उपाधि धारण की और शको को

भारत से भगाया और भारत के बाहर सैन्य अभियान करने वाला प्रथम भारतीय शासक, स्कंदगुप्त

जिसने बर्बर हूणों को हराया जिन्होंने शक्तिशाली रोमन साम्राज्य को भी धुल में मिला दिया था और

फारस को रौदते हुए भारत आ पहुचे लेकिन यहाँ उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा, महान गुप्त

साम्राज्य की सेना जिसका संचालन खुद स्कंदगुप्त कर रहा था ने हूणों को शिकस्त देकर मातृभूमि

की सेवा की. कुल मिलाकर गुप्त साम्राज्य के बारे में लोगो को बताने की जरुरत है, आज जब भी

हम अपने इतिहास से प्रेरणा लेने की कोशिस करते है तो हमें तुर्कों की गुलामी, मुगलों की गुलामी

और अंग्रेजो की गुलामी ही याद आती है और बड़े अफ़सोस मन से हम खुद को समझाते है की हम

तो थे ही ऐसे और पूरा हिन्दू समाज आज मानसिक हीनता का शिकार बना है जरुरत आ गयी है की

हमें अपना स्वर्णिम युग के बारे में जाने और उसी पर चल कर फिर से भारत को सोने की चिड़िया

बना सके

( गुप्त साम्राज्य पूरी तरह से भारत के लिए आज अनभिज्ञ है इतने महान शासक है की पूरी १०

किताबे लिखी जा सकती है. इतने महान राजा है जो बस किस्से कहानियो में ही रह गए है, चाहे वो

विक्रमादित्य हो या फिर बहादुरी की मिशाल कहे जाने वाले स्कन्दगुप्त हो, इनके बारे में हमें सबको

जरुर अवगत कराना चाहिए.  )

–अक्षय कुमार ओझा

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