Sunday, September 27, 2015

क्या सिर्फ फ्री बिजली -पानी से होगा 'मेक इन इंडिया'?

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका में दिग्गज कंपनियों के साथ मुलाकात कर उन्हें भारत में निवेश के लिए आमंत्रित कर रहे हैं. लेकिन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को ये रास नहीं आया. उन्होंने कहा, ''पीएम विदेश में गिड़गिड़ा रहे हैं पहले उन्हें मेक इंडिया करना होगा.''
सवाल उठता है कि क्या लोगों को मुफ्त बिजली और पानी देकर देश के लिए अच्छे दिन लाए जा सकते हैं ? और अगर नहीं तो मेक इंडिया पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं . माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला, एपल कंपनी के सीईओ टिम कुक, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, एडोबी के सीईओ शांतनु नारायण और टेस्ला कंपनी के सीईओ एलॉन मस्क के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हैंड सेक देश के लिए अच्छे दिन लाने में बड़ा अहम साबित हो सकता है .और शायद इसका आगाज भी हो चुका है .


गूगल के सहयोग से देश के 500 रेलवे स्टेशनों पर फ्री वाई फाई लाने का एलान हुआ, माइक्रोसॉफ्ट ने भारत के 5 लाख गांवों में सस्ती दर ब्रॉडबैंड सेवा देने में सहयोग का वादा किया, तो टेस्ला मोटर्स ने भी भारत में निवेश के लिए अपनी हामी भर दी.
एक ओर प्रधानमंत्री अच्छे दिन वाया अमेरिका लाने के लिए सिलिकॉन वैली में डटे हुए हैं तो दूसरी ओर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम की कोशिश को विदेश में जाकर गिड़गिड़ाना करार दिया है.

केजरीवाल कह रहे हैं कि ''मेक इन इंडिया'' से पहले मेक इंडिया यानी भारत को बनाना होगा. केजरीवाल जिस भारत को बनाने की बात कर रहे हैं क्या बगैर ब्रांडिंग ऐसा भारत बनाना संभव है.

जिस देश में चपरासी के 368 पोस्ट के लिए 23 लाख से ज्यादा लोग आवेदन कर देते हैं, उस देश में बिना फैक्ट्री लगाए और विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए आमंत्रित किए बिना लाखों-करोड़ युवाओं को  रोजगार कैसे दिया जा सकता है ?

आर्थिक और सामाजिक मामलों में भारत की तुलना जिस चीन से अक्सर से की जाती है, वही चीन अपनी ब्रांडिंग की बदौलत ही भारतीय बाजारों में छाया हुआ है. इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान हों या फिर होली, दीवाली जैसे त्योहार made in china लिखे सामान ज्यादा नजर आते हैं. क्यों? क्योंकि चीन ने अपने देश में उद्योगों को इतनी सहूलियतें दी हैं कि विदेशी कंपनियां चीन के नियमों के मुताबिक काम करने को तैयार रहती हैं. ऐसे में भारत भले ही सबसे ज्यादा युवाओं वाला देश हो लेकिन जब तक देश की ब्रांडिंग नहीं होगी शायद तब तक विदेशी कंपनियों को आकर्षित करना बेहद मुश्किल होगा.
एबीपी न्यूज

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