Thursday, June 18, 2015

रामध्यान (रमदान ) की मुबारकवाद

रमजान वास्तव में रामध्यान है। पैगंबर यानी प्रगतंबर है, जिस में आकाशवाणी सुनने की शक्ति हो! गाजा पट्टी यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों मतों के लिए महत्वपूर्ण है और यहां एक शहर है रामल्लाह यानी राम ही अल्लाह है, लेकिन परमेश्वर नहीं ओंकार नहीं...क्योंकि श्रीराम भी यज्ञ करते थे, संध्या करते थे और पैगंबर भी ध्यान करते थे और जहां तक अल्लाह की बात है, ओम् से अल्हम..और अल्हम से अल्लाह शब्द बना। 

डकार- छींक आए तो अल्हमदुल्लिाह बोलते हैं, दुआ के समय आमीन बोलते हैं, विकृत रूप में ही सही इनमें ओम् शब्द का उच्चारण अवश्य ही ध्यान से चिंतन करने पर नजर आए, इसलिए कहते हैं अल्लाह के सिवाय कोई पूज्य नहीं यानी ओम के सिवाय कोई पूज्य नहीं...राम, कृष्ण हमारे आदर्श हैं, इसमें कोई शंका नहीं, लेकिन ईश्वर को तो वे भी मानते थे। अब लोगों ने अंबेडकर को भी भगवान बना दिया और मजे की बात मोदी सरकार ने पीवी नरसिम्हाराव को भी भगवान का दर्जा दे दिया, उसकी समाधि दिल्ली में बननी शुरू हो गई, इसलिए कि उसका आधा परिवार मुस्लिम है? ताकि कब्रपूजा के लिए एक दिन और राष्ट्रीय अवकाश मिले और सरकारी आफिसों से छुट्टी मिले। जिसे जलाया गया हैदराबाद में उस कांग्रेसी नेता की कब्र दिल्ली में...वाह रे तुष्टिकरण रमजान के अवसर पर...राम को भूल गए...परंतु कब्रपूजा को न भूलोगे? मूर्तिपूजा का यही सबसे बड़ा दोष है कि नेताओं की भी पूजा होने लगती है। वे भी भगवान बन जाते हैं, जबकि अंत्येष्टि के बाद शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाता है और आत्मा या तो दोबारा जन्म ले लेती है या फिर मोक्ष प्राप्त कर लेती है, फिर ये हिन्दू पीएम कब्रपूजा या समाधिपूजा को बढ़ावा क्यों दे रहे हैं।

यह भाजपा राममंदिर छोड कांग्रेसी नेताओं की कब्र बनाने पर पैसा खर्च करने लगी, रामलला फटी तिरपाल में और नरसिम्माराव की श्मशन की माटी संगमर-मर के चोखटे में...?????????????????

By Farhana Taj

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