Thursday, June 25, 2015

ऋग्वेद और क्वांटम फिजिक्स जरुर पढ़े !!

क्वांटम फिजिक्स तो ब्रह्माण्ड का रहस्य धीरे धीरे खोल रहा है बावजूद इसके इसके कई नियम अभी भी अनुमान पर आधारित हैं .
.
लेकिन ऋग्वेद के नासदीय सूक्त पर आधारित ब्रहामंड के बारे में जब ये भावार्थ पढ़ा तो समझ में आया की हमारे पास कितना अमूल्य भण्डार है . सोने की चिड़िया का अर्थ अगर आप सिर्फ धन दौलत से लगा रहे हैं तो आपको एक बार फिर सोचना पड़ेगा . क्योंकि ज्ञान का अथाह सागर जब जम्बू द्वीप में लहराता था तो उसकी गूंज पुरे विश्व में सुनाई देती थी .
एक उदहारण मात्र -- ऋषियों ने कहा की मानव शारीर के साथ कोई स्वर्ग नहीं जा सकता . क्वांटम फिजिक्स कहता है की मानव शारीर भी ब्रहांड में अनन्त यात्रा नहीं कर सकता क्योंकि प्रकाश की रफ़्तार से चलने पर मनाव शरीर उस इनर्शिया को बर्दाश्त नहीं कर पायेगा .

आपके लिए ऋग्वेद के नासदीय सूक्त का अर्थ दे रहा हूँ पढ़िए और समझिये की इंद्र आदि देवताओं को भी ब्रहांड के सृजन का रहस्य नहीं मालुम है क्योंकि वो भी ब्रहामंड के सृजन के बाद ही उत्पन्न हुए थे . smile emoticon
.

नासदीय सूक्त
नहीं विद्यमान तब था कुछ भी,
उसका अभाव भी नहीं था तब ।
वायु भी नहीं, था व्योम नहीं,
उसे किसने ढका था, कहाँ था सब ॥
वह ब्राह्मिक द्रव, सर्वत्र व्याप्त, कितना गहरा था, किसके पास ॥
अमरत्व नहीं, तब मृत्यु नहीं थी,
नहीं प्रकाश, दिन रात न था ।
लेता था श्वास, वायु के बिन,
वह स्वयं पूर्ण था, शेष न था ॥
था केवल वह ही विद्यमान, उसके अतिरिक्त न कोई था ॥
था अन्धकार से ओत प्रोत,
केवल घनघोर तिमिर फैला ।
सब कुछ तब था द्रव के सदृश,
नहीं था प्रकाश किंचित कैसा ॥
वह एक जो आवृत्त शून्य से था, अग्नि के गर्भ से प्रकट हुआ ॥
मन से उत्पन्न कामना ने,
आरम्भ से व्याप लिया था उसे ।
करें खोज ह्रदय में मुनि उसकी,
संबंधित 'है', 'जो नहीं' उससे ॥
सम्बन्ध जटिल है यह इसमें,
बीज सभी हैं, शक्ति सभी ।
सूक्ष्म शक्तियाँ उसके भीतर,
वृहद शक्तियाँ बाहर भी ॥
पर, कौन उसे जानता है,
और कौन बता सकता है यहाँ ।
आरम्भ हुआ इसका था कब,
और कहाँ आदि है, अंत कहाँ ॥
पश्चात सृजन के देव हुए,
तब किसे पता यह, कब था बना ।
गर्भ से जिसके सृजन हुआ,
यह उसने किया, या उसके बिना॥
सृष्टि यह कैसे बनी थी,
कब हुआ आरम्भ था ।
यह व्योम का अध्यक्ष जाने,
या उसे भी नहीं पता ॥
-Kumar Nandan

No comments:

Post a Comment