Tuesday, July 28, 2015

मुशर्रफ़ ने कहा, ''धन्यवाद राष्ट्रपति महोदय. भारत भाग्यशाली है कि उसके पास आप जैसा एक वैज्ञानिक राष्ट्रपति है.''

मुशर्रफ़ ने कहा, ''धन्यवाद राष्ट्रपति महोदय. भारत भाग्यशाली है कि उसके पास आप जैसा एक वैज्ञानिक राष्ट्रपति है.''
इंडिया ऑनेस्ट : आज भारत ने एक ऐसी महान हस्ती को खो दिया है जिन्होंने जन्म तो मुस्लिम धर्म में लिया था लेकिन उनका चारित्र वैष्णव धर्म जैसा था। उन्होंने अपने जीवन काल में कभी मासभक्षण नहीं किया। ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व हम अपने जीवन में अपनाये। यही उनकी सबसे बढ़ी श्रधांजलि होगी।भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम !

एक पुराणी घटना जब डा. एपीजे अब्दुल कलामभारत के राष्ट्रपति थे ।परवेज़ मुशर्रफ़ की  राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलम से तीस मिनट की मुलाक़ात तय थी, जिसमे एईसी सुचना थी की परवेज कश्मीर का मुद्दा पर कलम साहब को घेरेंगे ! उनको जब इस बारे में ब्रीफ दिया गया तो ........


कलाम एक क्षण के लिए ठिठके, उनकी तरफ़ देखा और कहा, ''उसकी चिंता मत करो. मैं सब संभाल लूंगा.''
तीस मिनट की मुलाक़ात : अगले दिन ठीक सात बज कर तीस मिनट पर परवेज़ मुशर्रफ़ अपने क़ाफ़िले के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंचे. उन्हें पहली मंज़िल पर नॉर्थ ड्राइंग रूम में ले जाया गया.

कलाम ने उनका स्वागत किया. उनकी कुर्सी तक गए और उनकी बग़ल में बैठे. मुलाक़ात का वक़्त तीस मिनट तय था.
कलाम ने बोलना शुरू किया, ''राष्ट्रपति महोदय, भारत की तरह आपके यहाँ भी बहुत से ग्रामीण इलाक़े होंगे. आपको नहीं लगता कि हमें उनके विकास के लिए जो कुछ संभव हो करना चाहिए?''...............जनरल मुशर्रफ़ हाँ के अलावा और क्या कह सकते थे....वैज्ञानिक भी कूटनीतिक भी, कलाम ने कहना शुरू किया, ''मैं आपको संक्षेप में ‘पूरा’ के बारे में बताउंगा. पूरा का मतलब है प्रोवाइंडिंग अर्बन फ़ैसेलिटीज़ टू रूरल एरियाज़.''............पीछे लगी प्लाज़मा स्क्रीन पर हरकत हुई और कलाम ने अगले 26 मिनट तक मुशर्रफ़ को लेक्चर दिया कि ‘पूरा’ का क्या मतलब है और अगले 20 सालों में दोनों देश इसे किस तरह हासिल कर सकते हैं.
तीस मिनट बाद मुशर्रफ़ ने कहा, ''धन्यवाद राष्ट्रपति महोदय. भारत भाग्यशाली है कि उसके पास आप जैसा एक वैज्ञानिक राष्ट्रपति है.''    हाथ मिलाए गए और नायर ने अपनी डायरी में लिखा, ''कलाम ने आज दिखाया कि वैज्ञानिक भी कूटनीतिक हो सकते हैं.''

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तीन लाख बावन हज़ार रुपए की कहानी :

मई 2006 में राष्ट्रपति कलाम का सारा परिवार उनसे मिलने दिल्ली आया. कुल मिला कर 52 लोग थे. उनके 90 साल के बड़े भाई से ले कर उनकी डेढ़ साल की परपोती भी.

ये लोग आठ दिन तक राष्ट्रपति भवन में रुके. अजमेर शरीफ़ भी गए. कलाम ने उनके रुकने का किराया अपनी जेब से दिया. यहाँ तक कि एक प्याली चाय तक का भी हिसाब रखा गया और उनके जाने के बाद कलाम ने अपने अकाउंट से तीन लाख बावन हज़ार रुपए का चेक काट कर राष्ट्रपति कार्यालय को भेजा.

उनके राष्ट्रपति रहते ये बात किसी को पता नहीं चली.
बाद में जब उनके सचिव नायर ने उनके साथ बिताए गए दिनों पर किताब लिखी, तो पहली बार इसका ज़िक्र किया।

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आईआईएम शिलॉन्ग में गिरने से कुछ मिनट पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने दिन भर चौकस रहने के लिए एक कॉन्सटेबल को शाबाशी दी थी।
पूर्वी खासी हिल्स जिला के पुलिस अधीक्षक एम खरकरांग ने बताया कि कल सोमवार शाम गुवाहाटी से शिलांग सड़क मार्ग से जाते हुए रास्ते भर चौकस रहने के लिए पूर्व राष्ट्रपति ने एसओटी (विशेष अभियान दल) के एक जवान को शाबाशी दी थी।
उन्होंने बताया कि जब कलाम ने उस जवान को बुलाया था तो वह पहले डर गया लेकिन तब उन्होंने कॉन्सटेबल से कहा था कि वह अपना काम सही से कर रहा है।

कलाम के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए खरकरांग ने कहा कि सामान्य चीजों को भी अहमियत देने सादगी से जिंदगी जीने की उनकी समझदारी ने उन्हें वास्तव में महान बनाया।

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