Monday, May 25, 2015

नेहरू/गांधी परिवार का सच (भाग- 3 ) .....

नेहरू/गांधी परिवार का सच (भाग- 3 ) .....

एस. सी. भट्ट की एक पुस्तक “The
great divide: Muslim
separatism and partition” (ISBN-13:9788121205917)
के अनुसार --जवाहरलाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी अपने पिता के कर्मचारी सयुद हुसैन के साथ भाग गई.
तो मोतीलाल नेहरू जबरदस्ती उसे वापस ले आया और एक रंजीत पंडित नाम के एक आदमी के साथ उसकी शादी कर  ली. इंदिरा प्रियदर्शिनी को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था लेकिन वहां से बेकार प्रदर्शन के लिए बाहर निकाल दिया गया!.बाद में उसे शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन, रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उसे वहां से खराब आचरण के लिए बहर निकाल दिया !

शांति निकेतन से निकले जाने के बाद इंदिरा अकेलेपन से ग्रष्ट हो गयी!उसकी माँ कि तपेदिक से मृत्यु हो चुकी थी और बाप राजनीति में व्यस्त था! इस अकेलेपन में उसे साथ मिला फ़िरोज़ खान नाम के एक युवक का जो उन दिनों मोतीलाल नेहरु की हवेली में शराब आदि कि सप्लाई करने वाले एक पंसारी नवाब खान का बेटा था! फिर महाराष्ट्र के राज्यपाल डा. श्री-प्रकाश ने नेहरू को इस बारे में चेतावनी भी दी थी कि इंदिरा का फिरोज खान के साथ एक अवैध संबंध चल रहा था!फ़िरोज़ खान इंग्लैंड में पढ़ा हुआ एक युवक था जो इंदिरा से बहुत सहानुभूति रखता था! जल्दी ही इंदिरा ने अपना धरम फिर से बदल लिया और मुस्लिम धर्म अपना के फिरोज से लंदन कि एक मस्जिद में शादी करली! अब इंदिरा प्रियदर्शनी नेहरु का नाम बदल कर मैमुना बेगम हो चूका था!कमला नेहरु इस बात से जल भुन गयी! उधर जवाहर लाल नेहरु भी परेशान था क्यूंकि इससे फिर उसके राजनितिक जीवन पर असर पड़ना था!तो अब जवाहर लाल ने फ़िरोज़ खानको उसका उपनाम बदल कर गाँधी रखने को कहा! 

और उसे विश्वास दिलवाया कि सिर्फ उपनाम खान कि जगह गाँधी इस्तेमाल करो और धरम बदलने कि भी कोई जरुरत नहीं है! ये सिर्फ एक एफिडेविट से नाम बदलने जैसा था! तो फ़िरोज़ खान अब फ़िरोज़ गाँधी बन गया लेकिन ये नाम उतना ही अजीब लगता है जितना कि अगर किसी का नाम बिस्मिल्लाह शर्मा रख दिया जाये !दोनों ने अपना उपनाम बदल लिया और जब दोनों भारत आये तो भारत कि जनता को बेवकूफ बनाने के लिए हिन्दू विधि विधान से शादी कर दी गयी! तो अब इंदिरा गाँधी कि आने वाली नसल को एक नया फेंसी नाम गाँधी मिल गया था! नेहरु और गाँधी ये दोनों नाम ही इस परिवार के खुद के बनाये हुए उपनाम हैं! जैसे एक गिरगिट अपना रंग बदलता है उसी तरह इस वंश ने अपनी गतिविधयों को छुपाने के लिए अपने नाम बदलें हैं! यह खबर मोहनदास करमचन्द गाँधी को मिली तो उन्होंने ताबडतोड नेहरू को बुलाकर समझाया, 

राजनैतिक छवि की खातिर फ़िरोज को मनाया कि वह अपना नाम गाँधी रख ले. उन्होंने कहा था की भारत की जनता मुझसे बहुत प्यार करती है .......और वो मेरे नाम को स्वीकार लेगी !. यह एक आसानकाम था कि एक शपथ पत्र के जरिये, बजाय धर्म बदलने के सिर्फ़ नाम बदला जाये... तो फ़िरोज खान (घांदी) बन गये फ़िरोज गाँधी । और विडम्बना यह है कि सत्य-सत्य का जाप करने वाले और "सत्य के साथ मेरे प्रयोग" लिखने वाले गाँधी ने इस बात का उल्लेख आज तक कहीं नहीं किया, और वे महात्मा भी कहलाये । ंअब बात करते हैं इस परिवार के उस झोल-झाल की जो आपने किसी हिंदी सिनेमा में भी नहीं देखा होगा!कौन किसका बेटा है और किसका बाप कौन है! शायद इन्हें खुद भी नहीं पता होगा- अब इंदिरा गाँधी को हुए दो बेटे! राजीव गाँधी और संजय गाँधी!संजय गाँधी का असली नाम रखा गया था संजीव गाँधी! (राजीव के नामके साथ तुकबंदी वाला, जैसे पहले नाम रखा करते थे लोग !)अब संजीव से संजय बनने के पीछे भी रोचक कहानी है!अब हुआ ये की जो ये संजीव गाँधी था,ये ब्रिटेन के अन्दर कार चोरी के केस में पकड़ा गया और इसका पासपोर्ट जब्त कर दिया गया!

अब इस चालबाज़ औरत इंदिरा गांधी के निर्देश पर, तत्कालीन भारतीय ब्रिटेन के राजदूत, कृष्णा मेनन ने वहां प्रभाव का दुरुपयोग करके , संजीव गाँधी का नाम बदलकर संजय कार दिया और एक नया पासपोर्ट जारी कार दिया! अब संजीव गाँधी संजय गाँधी के नाम से जाना जाने लगा!अब ये गलतफ़हमी भी दूर किये देता हूँ कि इंदिरा गाँधी के दोनों सपूत राजीव गाँधी और संजय गाँधी सगे भाई थे या नहीं! ये बात जग जाहिर थी कि जब राजीव
गाँधी का जनम हुआ तब इंदिरा गाँधी और उसके पति फिरोज (खान) गाँधी अलग अलग रह रहे थे, लेकिन उनमें तलाक नहीं हुआ था!
जय हिन्द !!
क्रमशः भाग ४ में पढ़े ........
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