Friday, May 22, 2015

नेहरू/गांधी परिवार का सच (भाग- २ ) .....

मथाई जी ने एक पुस्तक
“Reminiscences of the
Nehru Age”(ISBN-13:9780706906219) 'लिखी ।

किताब से पता चलता है कि वहाँ जवाहर लाल नेहरू और माउंटबेटन एडविना (भारत, लुईस माउंटबेटन को अंतिम वायसराय की पत्नी) के बीच गहन प्रेम प्रसंग था..ये प्रेम सम्बंद इंदिरा गांधी के लिए महान शर्मिंदगी का एक स्रोत था! इंदिरा गाँधी अपने पिता जवाहर लाल नेहरु को इस सम्बंद के बारे में समझाने हेतु मोलाना अबुल कलाम आज़ाद कि मदद लिया करती थी।यही नहीं जवाहर लाल का सरोजिनी नायडू की पुत्री पद्मजा नायडू के साथ भी प्रेम प्रसंग चल रहा था, जिसे बंगाल के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था!

 इस बात का खुलासा भी हुआ है कि जवाहर लाल नेहरु अपने कमरे में  पद्मजा नायडू कि तस्वीर रखते थे जिसे इंदिरा गाँधी हटा दिया करती थी । इन घटनाओं के कारन पिता-पुत्री के रिश्ते तनाव से भरे रहते थे! उपरोक्त सम्बन्धों के अतिरिक्त भी जवाहर लाल नेहरु के जीवन में बहुत सी अन्य महिलाओं से नाजायज़ ताल्लुकात रहे हैं! नेहरु का बनारस कि एक सन्यासिन श्रद्धा माता के साथ भी लम्बे समय तक प्रेम प्रसंग चला! ये सन्यासिन काफी आकर्षक थी और प्राचीन भारतीय शास्त्रों और पुराणों में निपुण विद्वान थी!श्रधा माता के बारे में-१९४८ में वाराणसी से एक सन्यासिन दिल्ली आई जिसका काल्पनिक नाम श्रद्धा माता था । वह संस्कृत की विद्वान थी और कई सांसद उसके व्याख्यान सुनने को बेताब रहते थे ।वह भारतीय पुरालेखों और सनातन संस्कृति की अच्छी जानकार थी । 

नेहरू के पुराने कर्मचारी एस.डी.उपाध्याय ने एक हिन्दी का पत्र नेहरू को सौंपा जिसके कारण नेहरू उस सन्यासिन को एक इंटरव्यू देने को राजी हुए । चूँकि देश तब आजाद हुआ ही था और काम बहुत था, नेहरू ने अधिकतर बार इंटरव्य़ू आधी रात के समय ही दिये । मथाई के शब्दों में - एक रात मैने उसे पीएम हाऊस से निकलते देखा, वह बहुत ही जवान, खूबसूरत और दिलकश थी - । एक बार नेहरू के लखनऊ दौरे के समय श्रध्दामाता उनसे मिली और उपाध्याय जी हमेशा की तरह एक पत्र लेकर नेहरू के पास आये, नेहरू ने भी उसे उत्तर दिया, और अचानक एक दिन श्रद्धा माता गायब हो गईं, किसी के ढूँढे से नहीं मिलीं । नवम्बर १९४९ में बेंगलूर के एक कॉन्वेंट से एक सुदर्शन सा आदमी पत्रों का एक बंडल लेकर आया । उसने कहा कि उत्तर भारत से एक युवती उस कॉन्वेंट में कुछ महीने पहले आई थी और उसने एक बच्चे  को जन्म दिया । उस युवती ने अपना नाम पता नहीं बताया और बच्चे के जन्म के तुरन्त बाद ही उस बच्चे को वहाँ छोडकर गायब हो गई थी ।

उसकी निजी वस्तुओं में हिन्दी में लिखे
कुछ पत्र बरामद हुए जो प्रधानमन्त्री द्वारा लिखे गये हैं, पत्रों का वह बंडल उस आदमी ने अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया । मथाई लिखते हैं- मैने उस बच्चे और उसकी माँ की खोजबीन की काफ़ी कोशिश की, लेकिन कॉन्वेंट की मुख्य मिस्ट्रेस, जो कि एक विदेशी महिला थी, बहुत कठोर अनुशासन वाली थी और उसने इस मामले में एक शब्द भी किसी से नहीं कहा अब इस परिवार कि चालाकियों और षड़यंत्र के बारे में संदेह पैदा करने वाली कुछ घटनाओं को याद करते हैं ! नेताजी सुभाष चंद्र बोस और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत के प्रधानमंत्री के पद के लिए जवाहरलाल नेहरू के प्रतियोगियों थे और उन दोनों को रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई.इन सभी तथ्यों को जानने के बाद, वहाँ बाल दिवस के रूप में नेहरू के जन्मदिन को मनाना कहाँ तक उचित है!?
जय हिन्द !!
क्रमशः भाग ३ में पढ़े .......
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