Friday, May 29, 2015

चाचा नेहरु के कारनामों में से एक और !

कश्मीर पर चीन का अवैध कब्ज़ा ! अरुणांचल को अपना मानता है चीन !
ऐसी ख़बरों से भरे पड़े अखबार तो देखे होंगे आपने ? एक और भारत का हिस्सा है जिसकी बात नहीं होती | इस हिस्से पर अमरीका की नज़र तब पड़ी थी जब सुनामी आया था | अचानक अमरीकियों को दिखा की भारत का एक हिस्सा चीन से इतना नजदीक है | इसका नाम कोको आइलैंड इसलिए रखा गया था क्योंकि काले पानी की जेल में खाने की आपूर्ति, ज्यादातर नारियल की आपूर्ति इसी द्वीप से होती थी |

अंडमान निकोबार का हिस्सा है एक कोको आइलैंड | इसका इतिहास 1882 से देखा जाना चाहिए, उस वक्त ये अधिकारिक तौर पर ब्रिटिश बर्मा का हिस्सा बना था | 1937 जब बर्मा भारत से अलग कर के एक अलग क्राउन कॉलोनी बना दिया गया तो ये बर्मा का हिस्सा रह गया | 1942 में बाकि अंडमान निकोबार के साथ इसे जापान ने हथिया लिया था | जब 1948 में बर्मा अंग्रेजों से आजाद हुआ तो ये बर्मा का हिस्सा बन गया |
2003 में भारत के रक्षा मंत्री जॉर्ज फ़र्नान्डिस ने BBC को बताया था की इस द्वीप को जवाहरलाल नेहरु ने 1950 में ही बर्मा को दान कर दिया था और इस तरह भारत ने अपने ही घर में घुसपैठ करने का चीन को मौका दे दिया | अगर किसी ग़लतफ़हमी में हैं तो जान लीजिये की 1959 में जनरल ने विन ने यहाँ एक जेल बनाई थी, 1962 में जब उनका तख्ता पलट हुआ तो इस जेल को बर्मा का डेविल्स आइलैंड कहा जाने लगा | 1969 में इसकी जेल को बड़ा कर दिया गया ताकि ज्यादा राजनैतिक कैदियों को वहां डाला जा सके | 1971 में एक हड़ताल के बाद यहाँ से कैदियों को ले जा कर रंगून के इन्सेन जेल में डाल दिया गया और कोको आइलैंड को बर्मा की नौसेना को दे दिया गया |
फ़िलहाल यहाँ गूगल मैप से हवाई पट्टी, राडार स्टेशन वगैरह यहाँ दिख जाते हैं | यहाँ रखी चीनी मिसाइल कोलकाता तक तो कभी भी पहुँच जाएगी |
-Anand Kumar

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